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Tuesday, June 30, 2020

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में जानलेवा गैस लीक, प्राइवेट कंपनी के 2 कर्मचारियों की मौत https://ift.tt/2YHEJ3O

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में मंगलवार सुबह एक फैक्ट्री में गैस लीकेज हुई। घटना में दो कर्मचारियों की मौत हो गई है। 4 लोगों को अस्पताल ले जाया गया है। घटना सेनर लाइफ साइंसेस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की है। यहां बेन्जीमिडेजोल गैस लीक हुई। पुलिस के मुताबिक, जिन लोगों की मौत हुई, वे साइट पर मौजूद थे। गैस कहीं और नहीं फैली। स्थिति पर काबू पा लिया गया है। मुख्यमंत्री सी जगनमोहन रेड्डी ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं।

करीब दो महीने में यहां लीकेज की यह तीसरी घटना है। 8 मई को विशाखापट्टनम के करीब एक फैक्ट्री में लीक से 11 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद इसी महीने 27 तारीख को कुर्नूल में भी एक हादसा हुआ था। इसमें कंपनी के मैनेजर की मौत हो गई थी।

27 जून को कुर्नूल में हुआ था हादसा
कुर्नूल जिले के नंद्याल शहर में एसपीवाई एग्रो केमिकल फैक्ट्री में 27 जून को अमोनिया गैस लीक होने से एक मैनेजर की मौत हो गई थी। तीन मजदूरों की तबीयत खराब हुई थी। हादसे के समय फैक्ट्री में कुल 5 लोग थे। यह फैक्ट्री दिवंगत पूर्व सांसद एसपीवाई रेड्डी की थी जो नंदी ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी कंपनी है।

8 मई का हादसा बेहद भयानक था
8 मई को विशाखापट्टनम के वेंकटपुरम गांव की एक केमिकल फैक्ट्री से स्टाइरीन गैस लीक होने से 11 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें दो बच्चे भी शामिल थे। गैस एलजी पॉलिमर्स के प्लांट से लीक हुई थी। स्टाइरीन गैस प्लास्टिक, फाइबर ग्लास, रबर और पाइप बनाने में इस्तेमाल होती है। गैस का असर प्लांट के आसपास तीन से चार किमी इलाके में महसूस किया गया था। पुलिस को करीब 50 लोग तो सड़कों पर बेहोश मिले थे।

गैस लीक पर आप ये खबरें भी पढ़ सकते हैं...

1. कुर्नूल में पूर्व सांसद की फैक्ट्री से अमोनिया गैस लीक हुई; मैनेजर की मौत, 3 की तबीयत बिगड़ी

2. चश्मदीदों ने बताया- लोग सांस नहीं ले पा रहे थे, जो जहां खड़ा था, वहीं गिर गया; पुलिस बोली- पीड़ितों तक पहुंचना बेहद मुश्किल था



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गैस लीक के चलते तबीयत बिगड़ने पर चार लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं।


from Dainik Bhaskar /national/news/another-leakage-of-gas-in-visakhapatnam-andhra-pradesh-two-workers-died-127462429.html

Fight for the Things You Care About


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अनंतनाग जिले के वाघमा इलाके में सुरक्षाबलों का आज फिर आतंकियों से सामना, 24 घंटे में दूसरा एनकाउंटर https://ift.tt/2NDlhin

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के वाघमा इलाके में सुरक्षाबलों का आतंकियों से एनकाउंटर चल रहा है। आतंकियों के छिपे होने के इनपुट पर सिक्योरिटी फोर्सेज ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। इससे पहले सोमवार को आर्मी और पुलिस ने जॉइंट ऑपरेशन में अनंतनाग जिले के खुलचोहर इलाके में 3 आतंकियों को ढेर कर डोडा जिले को आतंकवाद मुक्त घोषित कर दिया था।

30 दिन में 18वां एनकाउंटर, पिछले 17 में 49 आतंकी मारे गए

तारीख जगह आतंकी मारे गए
1 जून नौशेरा 3
2 जून त्राल (पुलवामा) 2
3 जून कंगन (पुलवामा) 3
5 जून कालाकोट (राजौरी) 1
7 जून रेबन (शोपियां) 5
8 जून पिंजोरा(शोपियां) 4
10 जून सुगू(शोपियां) 5
13 जून निपोरा(कुलगाम) 2
16 जून तुर्कवंगम(शोपियां) 3
18-19 जून अवंतीपोरा और शोपियां 8
21 जून शोपियां 3
23 जून बंदजू (पुलवामा) 2
25 जून सोपोर (बारामूला) 2
25-26 जून त्राल (पुलवामा) 3
29 जून खुलचोहर (अनंतनाग) 3
कुल 49

कश्मीर में आतंकवाद पर आप ये खबरें भी पढ़ सकते हैं...

1.जम्मू-कश्मीर: हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर मसूद समेत 3 आतंकी ढेर, पुलिस ने डोडा जिले को आतंकवाद मुक्त घोषित किया

2.जम्मू-कश्मीर में नार्को-टेरर रैकेट : आतंकियों के 2 मददगार गिरफ्तार, 65 करोड़ रुपए की ड्रग्स बरामद; 2 पिस्टल और 4 ग्रेनेड भी मिले



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29 जून का फोटो अनंतनाग जिले के खुलचोहर इलाके का है, वहां एनकाउंटर में सुरक्षा बलों ने हिजबुल के कमांडर मसूद को मार गिराया था।


from Dainik Bhaskar /national/news/encounter-at-waghama-area-of-anantnag-jammu-and-kashmir-police-and-security-forces-are-on-the-job-127462421.html

Francis Bacon Triptych Sells for $84.6 Million


By BY SCOTT REYBURN from NYT Arts https://ift.tt/2VsNSek
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बोर्ड पर लिखा- अपराध, मगर बिहार में अल्ट्रासाउंड से बेटी देखकर 8000 रुपए में ही ले रहे हैं हत्या की ‘सुपारी’ https://ift.tt/3ib0oci

लॉकडाउन से ठीक पहले पूरे बिहार में 25 दिनों तक 11 जिलों के 95 अल्ट्रासाउंड लैब की दैनिक भास्कर ने पड़ताल की। सामने आए कोरोना से भी खतरनाक वायरस, जो अजन्मे बच्चियों को आपकी सोच से भी ज्यादा क्रूरता से मारते हैं...इसके लिए सौदा करते हैं। हमारे स्टिंग में 30 सेंटरों ने भ्रूण का लिंग बताने की गारंटी दी। कोरोना महामारी के दौरान हमने कोरोना से जंग को ही प्राथमिकता दी।

हमने इन सेंटरों पर लगातार नजर रखी। लॉकडाउन के दौरान ये बंद रहे। अब लॉकडाउन हटा तो हमारी टीम दोबारा इन सभी सेंटरों पर पहुंची। यहां ये धंधा फिर उसी तरह चलने लगा था। टीम को सात लैब ऐसे भी मिले, जो किसी पहचान वाले को लाए बगैर रेट बताने को तैयार नहीं हुए।

भास्कर टीम ज्यादा खुलकर डील करने वाले 10 जिलों के 21 लैब के स्टिंग ऑपरेशन में सामने ला रही कि यहां मां के पेट में पल रहे भ्रूण का लिंग बताने को डॉक्टर, नर्स या स्टाफ उसी तरह तैयार हैं, जैसे मांस की दुकानों पर कसाई तैयार बैठे रहते हैं। कई क्लिनिक तो बेटी होने पर गर्भ गिराने का पैकेज तक बनाए बैठे हैं।

औरंगाबाद में भास्कर टीम ने कम दिनों की गर्भवती महिला को लैब तक ले जाकर स्टिंग किया। हमने जिस गर्भवती महिला की मदद ली, उसमें इस बात का ध्यान रखा कि गर्भ कम समय का हो, जिससे लिंग की पुष्टि न हो सके। स्टिंग ऑपरेशन की टीम जितनी जगह गई, उनमें लिंग जांच से सीधे इनकार करने वाले भी मिले।

हत्यारों को 5 साल की सजा का भी डर नहीं

ये अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर भी पोस्टर लिख है- ‘यहां लिंग परीक्षण नहीं किया जाता है, यह गैरकानूनी और अपराध है।’ हकीकत आपके सामने है। वैसे भ्रूण की लिंग जांच पर डॉक्टर और/या क्लिनिक संचालक के पहले अपराध पर तीन साल, दूसरे पर 5 साल तक जेल का प्रावधान है, लेकिन इसका डर किसी को नहीं।

ये कोरोना से भी बड़े काल... कुछ जगहों पर सिर्फ कर्मचारी बदले, काम नहीं

औरंगाबाद में क्लिनिक से डॉक्टर का रेफर

डॉक्टर- चेक कर लिए हैं, गर्भवती हैं।
रिपोर्टर- हां सर, लेकिन यही तो दिक्कत है।
डॉक्टर- जो बात है, साफ-साफ बोलिए।
रिपोर्टर- 3 बच्ची पहले से है। जांच कराना है।
डॉक्टर- पहले बोलना चाहिए था। हो जाएगा।
रिपोर्टर- पैसा कितना लगेगा सर?
डॉक्टर- 5-6 हजार मांगता है, पर मेरे बारे में बोलिएगा, कुछ सस्ता कर देगा।
रिपोर्टर- सर पैसा के लिए कोई दिक्कत नहीं, रिपोर्ट सही आनी चाहिए कि लड़का है कि लड़की।
डॉक्टर- आप जाइए तो, मेरा सारा जांच वहीं (भखरुआ मोड़ के पास) जाता है। रिपोर्ट में कोई दिक्कत नहीं।

अल्ट्रासाउंड सेंटर पर रिपोर्ट की गारंटी भी दी

भखरुआ मोड़ के पास मां विंध्यवासिनी अल्ट्रासाउंड केन्द्र पर

टेक्निशियन ने कहा- डॉक्टर साहब से बात हो गई है न...
टेक्निशियन- 4500 रुपया जमा कीजिए। डॉक्टर साहब के कहने पर हम 500 रुपया छोड़ दिए हैं। इससे ज्यादा नहीं छोड़ पाएंगे।
रिपोर्टर- ठीक है सर, लेकिन रिपोर्ट सही बता दीजिएगा।
टेक्निशियन- रिपोर्ट के कारण ही तो लोग गली में चलकर आते हैं। डेहरी का रिपोर्ट फेल हो गया है, लेकिन आज तक यहां का शिकायत नहीं है।
रिपोर्टर- ये बात डॉक्टर साहब बोल रहे थे।
टेक्निशियन- डॉक्टर साहब को मेरे रिपोर्ट पर भरोसा है, तभी तो यहां भेजते हैं। उनका सारा रिपोर्ट यहीं आता है।

भखरुआ मोड़ के पास मां विंध्यवासिनी अल्ट्रासाउंड सेंटर।

राजधानी के पास भी नहीं बदले हालात

पटना में दानापुर के भुसौला स्थित हिंद क्लीनिक में पति जांच करता है और पत्नी अबॉर्शन। गर्भपात का रेट गर्भ के समय के हिसाब से...
रिपोर्टर: लेडीज नहीं हैं डॉक्टर साहब? पहले आया था तो लेडीज से बात हुई थी।
स्टाफ: क्या बात है? बताइए।
रिपोर्टर: तीन बेटी पहले से है, अब फिर पेट से है। देखना है कि क्या है अंदर। कितना पैसा लगेगा?
स्टाफ: जांच के लिए 2000-2500 रुपए लगेगा।
रिपोर्टर: उसके आगे की प्रोसेसिंग?
पति: वो मैडम करती हैं। 7,8, 9 महीने तक का काम हो जाएगा।
रिपोर्टर: रिस्क वाली बात कोई नहीं होगी न?
पति: रिस्क वाली बात कोई नहीं है, जितना समय होता है, उतना ज्यादा पैसा लगता है।
रिपोर्टर: मैडम का नाम सुनीता है?
पति: सुनीता नहीं, उर्मिला नाम है।
रिपोर्टर: मैडम ही करती हैं या कोई कोई?
पति: इमरजेंसी होती है, तो पीएमसीएच से बड़े डॉक्टर आते हैं। (कंप्यूटर स्क्रीन) पर बैठा देंगे।

पटना में दानापुर के भुसौला स्थित हिंद क्लीनिक में पति जांच करता है और पत्नी अबॉर्शन।

...और अल्ट्रासाउंड के 5 मिनट बाद,जब चाहेंगे, हो जाएगा एबॉर्शन

रिपोर्टर- क्या दिखा रहा है सर?
टेक्निशियन- अभी बच्चा छोटा है, 10 दिन बाद पता चलेगा।
रिपोर्टर- ऐसा क्यों सर?
टेक्निशियन- बच्चा का ग्रोथ नहीं हुआ है। इसीलिए ऐसा हो रहा है। इनको विटामिन खिलाना होगा।
रिपोर्टर- फिर कब आना होगा सर?
टेक्निशियन- 5 फरवरी को नाश्ता कराकर लेते आइएगा।
रिपोर्टर- अभी वाला रिपोर्ट दीजिएगा?
टेक्निशियन- इसका रिपोर्ट कहीं मिलता है! कोई कोना में इसका रिपोर्ट नहीं देगा। आपको व डॉक्टर को बता देंगे।
रिपोर्टर- इ तो हेडक हो गया सर। लेट होने पर एबॉर्शन कैसे होगा?
टेक्निशियन- हेडक का कोई बात नहीं। एबॉर्शन आठ माह तक के बच्चा का होता है। लाइएगा हम सब करवा देंगे। किसी से यह सब बात मत बताइएगा। नहीं तो दिक्कत होगा।

ये ज्यादा जघन्य हत्या है, फिर इसमें सिर्फ 3 साल की सजा क्यों?

(सतीश सिंह, संपादक) अगर हम लिखें कि राज्य में भ्रूणहत्या हो रही है... तो आप शायद इसे अनदेखा कर दें। लेकिन अगर हम लिखें कि बिहार के अल्ट्रासाउंड सेंटर ही दावा करते हैं कि राज्य में रोज 72 यानी हर साल 26000 से अधिक अजन्मी बच्चियों की हत्या की जा रही है...तो आप चौंक जाएंगे। दोनों वाक्य में एक ही तथ्य हैं, फर्क है कि पहले भ्रूण शब्द का प्रयोग किया और दूसरी बार बच्चियों की हत्या कहा और एक आंकड़ा जोड़ा। सिर्फ ‘भ्रूण’ के स्थान पर ‘बच्चियों’ शब्द के प्रयोग से संवेदनाएं जग जाती हैं, ये मनोवैज्ञानिक तथ्य है।

लेकिन क्या केंद्र सरकार अब तक इस मनोवैज्ञानिक तथ्य को नहीं समझ पाई है। फर्स्ट डिग्री मर्डर यानी हत्या की बात साबित हो जाए तो कम से कम उम्रकैद और फांसी तक की सजा का प्रावधान है। मगर भ्रूण हत्या की बात साबित हो जाए तो सिर्फ तीन साल की सजा या जुर्माना या दोनों...।

एक व्यक्ति तो हत्यारे से संघर्ष कर सकता है, मगर एक अजन्मी बच्ची तो कभी अपने हत्यारे को देख तक नहीं पाती। देखा जाए तो ज्यादा सोचा-समझा और संगीन जुर्म तो इन अजन्मी बच्चियों की हत्या है। क्योंकि यहां हत्या की सुपारी देने वालों में उसके अपने हैं और हर हत्यारा वह शख्स है जिसने जिंदगियां बचाने की शपथ ली है। फिर भी इन मामलों में अमूमन तो केस दर्ज ही नहीं होता, हो भी जाए तो आरोप साबित होना और सजा मिलना असंभव-सा है। स्थिति ये कि जहां रोज भ्रूण हत्या हो रही है, वहां सजा कब-किसे हुई, किसी को ध्यान नहीं।

दुष्कर्म के मामले में निर्भया केस के बाद सरकार ने कानून में संशोधन कर 10 साल तक की कैद को फांसी तक की सजा में तब्दील कर दिया। तो फिर भ्रूणहत्या के मामले में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? जब नाबालिग से दुष्कर्म के मामले को ज्यादा गंभीर मानते हुए नया पॉक्सो एक्ट लाया जा सकता है तो अजन्मी बच्ची की हत्या में सख्ती क्यों नहीं बरती जा सकती? ऐसा नहीं कि ऐसे केस सिर्फ ग्रामीण या अशिक्षित लोगों के बीच ही है। शहरों और पढ़े लिखे लोग ये अपराध ज्यादा कर रहे हैं।

2011 की जनगणना के मुताबिक देश में लिंगानुपात में बिहार की स्थिति निचले पायदानों के 6 राज्यों में से एक है। वहीं राज्य में प्रमुख शहरी इलाकों में से एक भागलपुर की स्थिति सबसे खराब (879) है और राजधानी पटना खराब जिलों में छठे स्थान पर है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-3 (2005-06) में लिंगानुपात 902 था। नीतीश सरकार के प्रयास से ये नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-2016) में 934 हो गया।...लेकिन अब इसमें और ठाेस कदम की जरूरत है।



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बिहार में डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड वाले का पता दिया, उसे कॉल भी किया, सेंटर वाले ने एबॉर्शन कराने का ऑफर दिया।


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Judge Rejects U.S. Effort to Hold Palestinian Man After Prison Term


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Uber Makes Offer to Buy Postmates Delivery Service


By BY MIKE ISAAC AND ERIN GRIFFITH from NYT Technology https://ift.tt/3gcfAUQ
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दुनिया के दो बड़े देश दोबारा संकट मेंः चीन में 5 लाख लोगों पर वुहान सी सख्ती; अमेरिका में अनलॉक दो हफ्तों में ही फेल https://ift.tt/2YHrjor

चीन में कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने सरकार की नींद उड़ा दी है। कोरोना के लगातार आ रहे संक्रमण के मामलों को देखते हुए प्रशासन ने कई सख्त उपाय किए हैं। बीजिंग से 150 किमी दूर हुबेई प्रांत में वुहान जैसी सख्ती की गई है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह लॉकडाउन एनशिन में लगाया गया है। इससे करीब 5 लाख लोग प्रभावित होंगे। पिछले 24 घंटों में बीजिंग में कोरोना के 14 नए मरीज मिले हैं। जून मध्य से एक फूड मार्केट के कारण मरीज बढ़कर 311 हो गए हैं।

एनशिन की घेराबंदी के बाद प्रशासन ने कहा कि यहां घर से निकलने तक पर पाबंदी होगी। घर का सामान लाने के लिए दिन भर में सिर्फ एक शख्स, एक ही बार बाहर जा सकेगा। किसी भी बाहरी को किसी बिल्डिंग, किसी समुदाय और किसी गाँव में जाने की अनुमति नहीं होगी।

नए मामलों में से एक तिहाई मामलों को मार्केट से बीफ और मटन सेक्शन से जोड़कर देखा जा रहा है। वहां काम करने वाले लोगों को एक महीने के लिए क्वारैंटाइन किया जा रहा है। एनशिन काउंटी से शिंफदी बाजार में ताजे पानी की मछलियां सप्लाई की जाती हैं।

उधर, बीजिंग में स्कूलों को फिर से बंद कर दिया गया है। कई स्थानों पर लॉकडाउन है। बीजिंग से बाहर जाने वाले व्यक्ति को कोरोना निगेटिव रिपोर्ट देनी होगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चीन में 83,512 लोग संक्रमित हैं।


अमेरिका में दो हफ्ते में दोगुनी हुई पॉजिटिव मरीज बढ़ने की दर, 65% संक्रमित बढ़ गए
अमेरिका के कई राज्यों में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। लॉज एंजेलिस काउंटी में पॉजिटिव बढ़ने की दर 9% पर पहुंच गई है, जबकि दो हफ्ते पहले यह 5.8% थी। टेक्सास में यह दर 13% है। इससे दो हफ्ते पहले 7% थी। एरिजोना में मई के बाद तेजी से मामले बढ़े हैं। दर औसत 20% रही है। जॉन थॉमस हॉपकिंस ब्लूमबर्ग सेंटर फॉर हेल्थ सिक्योरिटी के मुताबिक, पिछले दो हफ्तों में कोरोना केे मामलों में 65% की बढ़ोतरी हुई है।

रेस्तरां में बैठकर खाने से संक्रमण का खतरा बढ़ा
राज्यों ने अनलॉक के पहले चरण में रेस्तरां, बार और पब खोलने की छूट दी थी। यह संक्रमण बढ़ने की एक बड़ी वजह है। कई राज्यों के अधिकारियों ने इस संबंध में चेतावनी दी है। मिशिगन के हार्पर रेस्तरां और ईस्ट लैंसिंग के ब्रुअप से 70 से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं। अलास्का के रेस्तरां में पॉजिटिव मिलने के बाद सैकड़ों लोगों की टेस्टिंग हुई है। कंसास में एक सैलून और बार से कोरोना फैला है। लॉस एंजेलिस में भी नाइटक्लब से 100 से ज्यादा लोग चपेट में आए हैं।

कैलिफोर्निया, टेक्सास, फ्लोरिडा में दोबारा सख्ती
मरीज बढ़ने के बाद कैलिफोर्निया की 8 काउंटी में कारोबारी गतिविधि पर रोक लगा दी गई है, वहीं 7 काउंटी में अनलॉक रोक दिया गया है। टेक्सास में भी रेस्तरां-बार बंद करने पड़े हैं। फ्लोरिडा में युवा बड़ी संख्या में चपेट में आ रहे हैं, इसे देखते हुए बीच बंद किए गए हैं। अब राज्यों के प्रशासन को चिंता फ्रीडम डे वीकेंड की है। 4 जुलाई को अमेरिकी स्वाधीनता दिवस पर जश्न मनता है, इस मौके पर लोगों को रोकना बड़ी चुनौती होगी।

समृद्ध देशों में अमेरिका सर्वाधिक प्रभावित
कोरोना से दुनिया के सभी देश परेशान हैं पर समृद्ध देशों की बात करें तो सबसे ज्यादा असर अमेरिका पर पड़ा है। बाकी देशों में अनलॉक के बाद मरीज मामूली बढ़े हैं। पर अमेरिका में ऐसा नहीं है। ट्रम्प समेत कई राज्यों के गवर्नरों ने चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया। इसलिए संक्रमित 26 लाख से ज्यादा हो चुके हैं।



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बीजिंग से बाहर जाने वाले व्यक्ति को कोरोना निगेटिव रिपोर्ट देनी होगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चीन में 83,512 लोग संक्रमित हैं। -फाइल फोटो


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सूरज से भी ज्यादा ऊर्जा पैदा करने वाला सबसे बड़ा परमाणु फ्यूजन प्रोजेक्ट फ्रांस में बन रहा, इसका कूलिंग सिस्टम भारत ने बनाया https://ift.tt/2NGgn46

धरती पर सूरज से ज्यादा ऊर्जा पैदा करने के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के तहत भारत सबसे अहम योगदान करने जा रहा है। फ्रांस के कादार्शे में डेढ़ लाख करोड़ रुपए की लागत से बन रहे दुनिया के सबसे बड़े परमाणु फ्यूजन प्रोजेक्ट के लिए मंगलवार को सूरत के हजीरा से ‘क्रायोस्टेट’ का अंतिम हिस्सा भारत से रवाना किया जाएगा। इसे एलएंडटी ने बनाया है।

क्रायोस्टेट स्टील का हाई वैक्यूम प्रेशर चैम्बर होता है। आसान शब्दों में कहें तो जब कोई रिएक्टर बेहद गर्मी पैदा करता है, तो उसे ठंडा करने के लिए एक विशाल रेफ्रिजरेटर चाहिए होता है। इसे ही क्रायोस्टेट कहते हैं। इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर) प्रोजेक्ट के सदस्य देश हाेने के नाते भारत ने इसे बनाने की जिम्मेदारी चीन से छीन ली थी।

इस प्रोजेक्ट के तहत 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस तापमान पैदा होगा, जो सूर्य की कोर से 10 गुना ज्यादा होगा। क्रायाेस्टेट का कुल वजन 3850 टन है। इसका 50वां और अंतिम हिस्सा करीब 650 टन वजनी, 29.4 मीटर चाैड़ा और 29 मीटर ऊंचा है। रिएक्टर फ्रांस के कादार्शे में बन रहा है। विश्वव्यापी लॉकडाउन के बावजूद भारत इसके हिस्से को बनाकर फ्रांस भेजता रहा था।

इन सभी हिस्सों को जाेड़कर चैम्बर का आकार देने के लिए भारत ने कादार्शे के पास एक वर्कशॉप भी बनाई है। इस प्राेजेक्ट में भारत का योगदान 9% है, लेकिन क्रायोस्टेट देकर देश के पास इसके बौद्धिक संपदा के अधिकार सुरक्षित रहेंगे। आईटीईआर की यह मैग्नेटिक फ्यूजन डिवाइस की परियोजना परमाणु विखंडन के बजाए सूरज की तरह परमाणु संलयन करने की वैज्ञानिक और तकनीकी व्यावहारिकता को प्रयोग के तौर पर साबित करने के लिए है।

भारत-अमेरिका, जापान समेत 7 देश इस संयंत्र को मिलकर बना रहे
धरती पर सूरज से ज्यादा ऊर्जा पैदा करने का जिम्मा 7 देशों ने उठाया है। इसमें भारत के अलावा यूरोपीय देश, अमेरिका, जापान, चीन, फ्रांस और रूस शामिल हैं। भारत को क्रायोस्टेट बनाने का जिम्मा मिला था। इसका निचला सिलेंडर पिछले साल जुलाई में और मार्च में इसके ऊपरी सिलेंडर को भेजा गया था। अब इसकी ऊपरी सतह भेजी जा रही है।



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क्रायोस्टेट इस हिस्से के ऊपर लगाया जाएगा।


from Dainik Bhaskar /national/news/the-largest-nuclear-fusion-project-that-generates-more-energy-than-the-sun-is-being-built-in-france-india-made-its-cooling-system-127462283.html

बोर्ड पर लिखा- अपराध, मगर बिहार में अल्ट्रासाउंड से बेटी देखकर 8000 रुपए में ही ले रहे हैं हत्या की ‘सुपारी’ https://ift.tt/2BQibEW

लॉकडाउन से ठीक पहले पूरे बिहार में 25 दिनों तक 11 जिलों के 95 अल्ट्रासाउंड लैब की दैनिक भास्कर ने पड़ताल की। सामने आए कोरोना से भी खतरनाक वायरस, जो अजन्मे बच्चियों को आपकी सोच से भी ज्यादा क्रूरता से मारते हैं...इसके लिए सौदा करते हैं। हमारे स्टिंग में 30 सेंटरों ने भ्रूण का लिंग बताने की गारंटी दी। कोरोना महामारी के दौरान हमने कोरोना से जंग को ही प्राथमिकता दी।

हमने इन सेंटरों पर लगातार नजर रखी। लॉकडाउन के दौरान ये बंद रहे। अब लॉकडाउन हटा तो हमारी टीम दोबारा इन सभी सेंटरों पर पहुंची। यहां ये धंधा फिर उसी तरह चलने लगा था। टीम को सात लैब ऐसे भी मिले, जो किसी पहचान वाले को लाए बगैर रेट बताने को तैयार नहीं हुए।

भास्कर टीम ज्यादा खुलकर डील करने वाले 10 जिलों के 21 लैब के स्टिंग ऑपरेशन में सामने ला रही कि यहां मां के पेट में पल रहे भ्रूण का लिंग बताने को डॉक्टर, नर्स या स्टाफ उसी तरह तैयार हैं, जैसे मांस की दुकानों पर कसाई तैयार बैठे रहते हैं। कई क्लिनिक तो बेटी होने पर गर्भ गिराने का पैकेज तक बनाए बैठे हैं।

औरंगाबाद में भास्कर टीम ने कम दिनों की गर्भवती महिला को लैब तक ले जाकर स्टिंग किया। हमने जिस गर्भवती महिला की मदद ली, उसमें इस बात का ध्यान रखा कि गर्भ कम समय का हो, जिससे लिंग की पुष्टि न हो सके। स्टिंग ऑपरेशन की टीम जितनी जगह गई, उनमें लिंग जांच से सीधे इनकार करने वाले भी मिले।

हत्यारों को 5 साल की सजा का भी डर नहीं

ये अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर भी पोस्टर लिख है- ‘यहां लिंग परीक्षण नहीं किया जाता है, यह गैरकानूनी और अपराध है।’ हकीकत आपके सामने है। वैसे भ्रूण की लिंग जांच पर डॉक्टर और/या क्लिनिक संचालक के पहले अपराध पर तीन साल, दूसरे पर 5 साल तक जेल का प्रावधान है, लेकिन इसका डर किसी को नहीं।

ये कोरोना से भी बड़े काल... कुछ जगहों पर सिर्फ कर्मचारी बदले, काम नहीं

औरंगाबाद में क्लिनिक से डॉक्टर का रेफर

डॉक्टर- चेक कर लिए हैं, गर्भवती हैं।
रिपोर्टर- हां सर, लेकिन यही तो दिक्कत है।
डॉक्टर- जो बात है, साफ-साफ बोलिए।
रिपोर्टर- 3 बच्ची पहले से है। जांच कराना है।
डॉक्टर- पहले बोलना चाहिए था। हो जाएगा।
रिपोर्टर- पैसा कितना लगेगा सर?
डॉक्टर- 5-6 हजार मांगता है, पर मेरे बारे में बोलिएगा, कुछ सस्ता कर देगा।
रिपोर्टर- सर पैसा के लिए कोई दिक्कत नहीं, रिपोर्ट सही आनी चाहिए कि लड़का है कि लड़की।
डॉक्टर- आप जाइए तो, मेरा सारा जांच वहीं (भखरुआ मोड़ के पास) जाता है। रिपोर्ट में कोई दिक्कत नहीं।

अल्ट्रासाउंड सेंटर पर रिपोर्ट की गारंटी भी दी

भखरुआ मोड़ के पास मां विंध्यवासिनी अल्ट्रासाउंड केन्द्र पर

टेक्निशियन ने कहा- डॉक्टर साहब से बात हो गई है न...
टेक्निशियन- 4500 रुपया जमा कीजिए। डॉक्टर साहब के कहने पर हम 500 रुपया छोड़ दिए हैं। इससे ज्यादा नहीं छोड़ पाएंगे।
रिपोर्टर- ठीक है सर, लेकिन रिपोर्ट सही बता दीजिएगा।
टेक्निशियन- रिपोर्ट के कारण ही तो लोग गली में चलकर आते हैं। डेहरी का रिपोर्ट फेल हो गया है, लेकिन आज तक यहां का शिकायत नहीं है।
रिपोर्टर- ये बात डॉक्टर साहब बोल रहे थे।
टेक्निशियन- डॉक्टर साहब को मेरे रिपोर्ट पर भरोसा है, तभी तो यहां भेजते हैं। उनका सारा रिपोर्ट यहीं आता है।

भखरुआ मोड़ के पास मां विंध्यवासिनी अल्ट्रासाउंड सेंटर।

राजधानी के पास भी नहीं बदले हालात

पटना में दानापुर के भुसौला स्थित हिंद क्लीनिक में पति जांच करता है और पत्नी अबॉर्शन। गर्भपात का रेट गर्भ के समय के हिसाब से...
रिपोर्टर: लेडीज नहीं हैं डॉक्टर साहब? पहले आया था तो लेडीज से बात हुई थी।
स्टाफ: क्या बात है? बताइए।
रिपोर्टर: तीन बेटी पहले से है, अब फिर पेट से है। देखना है कि क्या है अंदर। कितना पैसा लगेगा?
स्टाफ: जांच के लिए 2000-2500 रुपए लगेगा।
रिपोर्टर: उसके आगे की प्रोसेसिंग?
पति: वो मैडम करती हैं। 7,8, 9 महीने तक का काम हो जाएगा।
रिपोर्टर: रिस्क वाली बात कोई नहीं होगी न?
पति: रिस्क वाली बात कोई नहीं है, जितना समय होता है, उतना ज्यादा पैसा लगता है।
रिपोर्टर: मैडम का नाम सुनीता है?
पति: सुनीता नहीं, उर्मिला नाम है।
रिपोर्टर: मैडम ही करती हैं या कोई कोई?
पति: इमरजेंसी होती है, तो पीएमसीएच से बड़े डॉक्टर आते हैं। (कंप्यूटर स्क्रीन) पर बैठा देंगे।

पटना में दानापुर के भुसौला स्थित हिंद क्लीनिक में पति जांच करता है और पत्नी अबॉर्शन।

...और अल्ट्रासाउंड के 5 मिनट बाद,जब चाहेंगे, हो जाएगा एबॉर्शन

रिपोर्टर- क्या दिखा रहा है सर?
टेक्निशियन- अभी बच्चा छोटा है, 10 दिन बाद पता चलेगा।
रिपोर्टर- ऐसा क्यों सर?
टेक्निशियन- बच्चा का ग्रोथ नहीं हुआ है। इसीलिए ऐसा हो रहा है। इनको विटामिन खिलाना होगा।
रिपोर्टर- फिर कब आना होगा सर?
टेक्निशियन- 5 फरवरी को नाश्ता कराकर लेते आइएगा।
रिपोर्टर- अभी वाला रिपोर्ट दीजिएगा?
टेक्निशियन- इसका रिपोर्ट कहीं मिलता है! कोई कोना में इसका रिपोर्ट नहीं देगा। आपको व डॉक्टर को बता देंगे।
रिपोर्टर- इ तो हेडक हो गया सर। लेट होने पर एबॉर्शन कैसे होगा?
टेक्निशियन- हेडक का कोई बात नहीं। एबॉर्शन आठ माह तक के बच्चा का होता है। लाइएगा हम सब करवा देंगे। किसी से यह सब बात मत बताइएगा। नहीं तो दिक्कत होगा।

ये ज्यादा जघन्य हत्या है, फिर इसमें सिर्फ 3 साल की सजा क्यों?

(सतीश सिंह, संपादक) अगर हम लिखें कि राज्य में भ्रूणहत्या हो रही है... तो आप शायद इसे अनदेखा कर दें। लेकिन अगर हम लिखें कि बिहार के अल्ट्रासाउंड सेंटर ही दावा करते हैं कि राज्य में रोज 72 यानी हर साल 26000 से अधिक अजन्मी बच्चियों की हत्या की जा रही है...तो आप चौंक जाएंगे। दोनों वाक्य में एक ही तथ्य हैं, फर्क है कि पहले भ्रूण शब्द का प्रयोग किया और दूसरी बार बच्चियों की हत्या कहा और एक आंकड़ा जोड़ा। सिर्फ ‘भ्रूण’ के स्थान पर ‘बच्चियों’ शब्द के प्रयोग से संवेदनाएं जग जाती हैं, ये मनोवैज्ञानिक तथ्य है।

लेकिन क्या केंद्र सरकार अब तक इस मनोवैज्ञानिक तथ्य को नहीं समझ पाई है। फर्स्ट डिग्री मर्डर यानी हत्या की बात साबित हो जाए तो कम से कम उम्रकैद और फांसी तक की सजा का प्रावधान है। मगर भ्रूण हत्या की बात साबित हो जाए तो सिर्फ तीन साल की सजा या जुर्माना या दोनों...।

एक व्यक्ति तो हत्यारे से संघर्ष कर सकता है, मगर एक अजन्मी बच्ची तो कभी अपने हत्यारे को देख तक नहीं पाती। देखा जाए तो ज्यादा सोचा-समझा और संगीन जुर्म तो इन अजन्मी बच्चियों की हत्या है। क्योंकि यहां हत्या की सुपारी देने वालों में उसके अपने हैं और हर हत्यारा वह शख्स है जिसने जिंदगियां बचाने की शपथ ली है। फिर भी इन मामलों में अमूमन तो केस दर्ज ही नहीं होता, हो भी जाए तो आरोप साबित होना और सजा मिलना असंभव-सा है। स्थिति ये कि जहां रोज भ्रूण हत्या हो रही है, वहां सजा कब-किसे हुई, किसी को ध्यान नहीं।

दुष्कर्म के मामले में निर्भया केस के बाद सरकार ने कानून में संशोधन कर 10 साल तक की कैद को फांसी तक की सजा में तब्दील कर दिया। तो फिर भ्रूणहत्या के मामले में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? जब नाबालिग से दुष्कर्म के मामले को ज्यादा गंभीर मानते हुए नया पॉक्सो एक्ट लाया जा सकता है तो अजन्मी बच्ची की हत्या में सख्ती क्यों नहीं बरती जा सकती? ऐसा नहीं कि ऐसे केस सिर्फ ग्रामीण या अशिक्षित लोगों के बीच ही है। शहरों और पढ़े लिखे लोग ये अपराध ज्यादा कर रहे हैं।

2011 की जनगणना के मुताबिक देश में लिंगानुपात में बिहार की स्थिति निचले पायदानों के 6 राज्यों में से एक है। वहीं राज्य में प्रमुख शहरी इलाकों में से एक भागलपुर की स्थिति सबसे खराब (879) है और राजधानी पटना खराब जिलों में छठे स्थान पर है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-3 (2005-06) में लिंगानुपात 902 था। नीतीश सरकार के प्रयास से ये नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-2016) में 934 हो गया।...लेकिन अब इसमें और ठाेस कदम की जरूरत है।



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बिहार में डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड वाले का पता दिया, उसे कॉल भी किया, सेंटर वाले ने एबॉर्शन कराने का ऑफर दिया।


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दुनियाभर में 148 वैक्सीन पर काम चल रहा, इनमें से 17 क्लीनिकल ट्रायल के फेज में; भारत में भी 14 वैक्सीन पर काम https://ift.tt/3eK0FB1

दुनिया के 216 देश इस समय कोरोनावायरस से जूझ रहे हैं। दुनियाभर में इससे संक्रमित लोगों की संख्या 1 करोड़ के पार पहुंच गई है। मौतों का आंकड़ा भी 5 लाख के ऊपर आ गया है।

अब बस एक ही सवाल सबके जहन में आता है कि आखिर कब तक हमें कोरोना से लड़ना पड़ेगा? कब तक इसकी कोई असरदार दवा या वैक्सीन आ पाएगी? तो इसका जवाब अभी किसी के पास भी नहीं है।

हालांकि, डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, 28 जून तक दुुनियाभर में कोरोना की 148 वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें से 131 वैक्सीन प्री-क्लीनिकल प्रोसेस में है, जबकि बाकी 17 वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के फेज में आ गई हैं।

आमतौर पर किसी भी बीमारी की वैक्सीन बनने में 15 साल से भी ज्यादा का वक्त लगता है। लेकिन, दुनियाभर में कोरोना की वैक्सीन को लेकर जिस तेजी से काम चल रहा है, उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस साल के आखिर तक या जून 2021 तक हमारे पास एक अच्छी वैक्सीन होगी।

कुछ दिन पहले ही डब्ल्यूएचओ की चीफ टेड्रोस अधेनॉम गेब्रेसियस ने भी एक साल के अंदर कोरोना की वैक्सीन आ जाने की उम्मीद जताई है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड वैक्सीन तीसरे फेज में
ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और वहां की एक कंपनी एस्ट्राजैनेका (AstraZeneca) एक वैक्सीन पर काम कर रही है। ये वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के तीसरे फेज में पहुंच चुकी है।

वैक्सीन के प्रोडक्शन के लिए एस्ट्राजैनेका ने कई कंपनियों से हाथ मिलाया है। इसमें भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी है। इन कंपनियों की मदद से कंपनी जून 2021 तक 200 करोड़ वैक्सीन बनाना चाहती है।

भारत में भी 14 वैक्सीन पर काम चल रहा
इस महीने की शुरुआत में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सिंह ने बताया था कि भारत में कोरोना की 14 वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें से 4 वैक्सीन का काम अगले 3 से 5 महीनों में क्लीनिकल ट्रायल के फेज में पहुंचने की उम्मीद है।

इन सबके अलावा दुनियाभर में जिन 148 वैक्सीन पर काम चल रहा है, उसमें 5 या तो भारतीय कंपनियों की है या फिर भारतीय कंपनियां हिस्सेदार हैं। गुजरात की जायडस कैडिला कंपनी भी है। इसी कंपनी ने 2010 में देश में स्वाइन फ्लू की सबसे पहली वैक्सीन तैयार की थी।

इसके अलावा भारत बायोटेक दो, इंडियन इम्युनोलॉजिकल्स लिमिटेड और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया 1-1 वैक्सीन पर दूसरे देशों की संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रही हैं।

वैक्सीन के लिए कितना खर्चा?
कोरोना महामारी से निपटने के लिए दुनियाभर की सरकारें करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं। भारत में भी पीएम केयर्स फंड से 100 करोड़ रुपए वैक्सीन पर खर्च हो रहे हैं।

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कोरोना से संक्रमित होने का खतरा सभी को है, इसलिए इसके इलाज और रोकथाम के उपाय भी सभी के लिए होने चाहिए।

इसी हफ्ते यूएन ने भी कहा है कि कोरोना के असरदार इलाज और वैक्सीन के लिए अगले 12 महीनों में 31 अरब डॉलर (करीब 2.35 लाख करोड़ रुपए) की जरूरत होगी।

अप्रैल में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने भी अनुमान लगाया था कि अगर हम कोरोना की कोई कारगर वैक्सीन बना भी लेते हैं, तो हमें इसकी मैनुफैक्चरिंग और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए 25 अरब डॉलर (करीब 1.90 लाख करोड़ रुपए) की जरूरत होगी।

बिल गेट्स ने भी एक ब्लॉग के जरिए कहा था कि अगर हम कोरोना की कारगर वैक्सीन बनाने में कामयाब होते हैं, तो इससे हम लाखों करोड़ रुपए बचाने में भी कामयाब होंगे।

ये तस्वीर पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की लैब है, जहां एक वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन पर काम कर रहा है। ये दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने की कंपनी है।

किस देश को सबसे पहले मिलेगी कोरोना की वैक्सीन?
अगर कोरोना की कोई वैक्सीन बन जाती है, तो ये सबसे पहले किसे मिलेगी? तो इसका जवाब तो यही है कि जो देश पहले इस वैक्सीन को बनाएगा, वहीं के लोगों को सबसे पहले वैक्सीन मिलेगी।

पिछले हफ्ते अमेरिका के टॉप इन्फेक्शियस डिसीज एक्सपर्ट डॉ. एंथनी फाउची ने कहा है कि उन्हें इस साल के आखिर तक या 2021 की शुरुआत में कोरोना की एक वैक्सीन मिलने की उम्मीद है।

अमेरिका के अलावा ब्रिटेन और चीन भी वैक्सीन पर करोड़ों खर्च कर रहे हैं। ब्रिटेन की एस्ट्राजैनेका ने वैक्सीन के प्रोडक्शन के लिए भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से पार्टनरशिप की है। अगर एस्ट्राजैनेका वैक्सीन बना लेती है, तो सीरम इंस्टीट्यूट भारत में भी 1 अरब डोज तैयार कर लेगी।

तब भी सबसे बड़ा सवाल, क्या कोरोना की वैक्सीन आ पाएगी?
कोरोनावायरस से बचने के लिए वैक्सीन का काम भले ही तेजी से चल रहा हो और दुनियाभर में वैक्सीन के आने पर उम्मीदें जताई जा रही हों। लेकिन, फिर भी एक सवाल यही है कि क्या कोरोना की वैक्सीन बन पाएगी?

ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोनावायरस भी एक तरह का फ्लू है। फ्लू की बीमारी करीब सैकड़ों साल पुरानी है, लेकिन आज तक फ्लू की कोई वैक्सीन नहीं बन सकी है। यही कारण है कि हर साल सर्दी-जुकाम की बीमारियां फैलती हैं।

इसके अलावा इसका दूसरा कारण ये भी है कि कुछ खतरनाक बीमारियों की वैक्सीन अभी तक नहीं बन सकी।

1981 में एचआईवी वायरस फैला। इस वायरस की वजह से इंसानों में एड्स की बीमारी फैलती है। 4 दशक बीत जाने के बाद भी इस बीमारी की कोई असरदार दवा या वैक्सीन नहीं बन सकी। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इससे अब तक 3.5 करोड़ से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

इसके बाद 2002-03 में चीन से ही सार्स फैला। दुनियाभर में इसके करीब साढ़े 8 हजार मामले सामने आए थे, जबकि 750 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। हालांकि, जल्द ही इस बीमारी पर काबू पा लिया गया था, लेकिन कोई वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी।

2015 में मर्स वायरस फैला था। इससे अब तक ढाई हजार लोग संक्रमित हो चुके हैं और 850 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। अभी भी मर्स वायरस पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है और कुछ देशों में इसके मामले अभी भी आते रहते हैं। लेकिन, इसकी भी कोई वैक्सीन अभी तक तैयार नहीं हो सकी है।

कुछ वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि सार्स और मर्स जैसे वायरस फैलने के बाद अगर इन बीमारियों से निपटने के लिए वैक्सीन पर काम जारी रहता तो कोरोना की वैक्सीन बनाने में ज्यादा कठिनाई नहीं आती। क्योंकि, सार्स और मर्स भी कोरोनावायरस ही है।



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ये तस्वीर रूस के सेंट पीटर्सबर्ग की है। यहां की बायोकैड बायोटेक्नोलॉजी कंपनी में भी कोरोना की वैक्सीन पर काम चल रहा है।


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धारा 370 हटाए जाने के बाद कोई बाहरी जम्मू कश्मीर आकर नौकरियों पर कब्जा न करे इसलिए लाए हैं डोमेसाइल कानून- लेफ्टिनेंट गवर्नर मुर्मू https://ift.tt/3eJYmhj

जम्मू- कश्मीर के उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने डोमेसाइल सर्टिफिकेट को लेकर उठे विवाद को अफवाह करार दिया है। उन्होंने कहा है कि इसका नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है। पूरे देश में सभी के लिए एक ही नागरिकता कानून है। मुर्मू ने बिना किसी का नाम लिए दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में कहा कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं को सरंक्षण देने के लिए हमप्रोटेक्शन लॉ लेकर आए हैं। ताकि यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके, उनका हक कोई और नहीं छीन सके।

उन्होंने कहा कि वेस्टपाकिस्तानी रिफ्यूजी, वाल्मीकिसमाज के लोग और गोरखा यहां आजादी के बाद से रह रहे हैं। लेकिन, इन्हें स्टेट सब्जेक्ट का दर्जा नहीं मिला। जम्मू कश्मीर की बेटियां जो दूसरे राज्यों में शादियां करती थीं उनकाभी स्टेट सब्जेक्ट खत्म हो जाता था। इन सब के प्रोटेक्शन के लिए हमने यह लॉ बनाया है। जिनके पास पहले स्टेट सब्जेक्ट है, उन्हें ऑटोमेटिक डोमेसाइल सर्टिफिकेट मिल जाएगा।

लेफ्टिनेंट गवर्नर मुर्मू ने भास्कर से हुई खास बातचीत में अमरनाथ यात्रा, आतंकवाद, पंचायती राज और ई गवर्नेंस पर बात की -

मुर्मू ने बताया कि आर्टिकल 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति है और लॉ एंड आर्डर की कोई समस्या नहीं है। फोटो- अंकुर सेठी

अमरनाथ यात्रा की तैयारी कर रहे हैं, आगे जो उचित होगा निर्णय लेंगे

अमरनाथ यात्रा को लेकर उपराज्यपाल ने कहा कि हमारी कोशिश है कि यात्रा हो, हम इसकी तैयारी भी कर रहे हैं। आमतौर पर यात्रा की तैयारियां मार्च के महीने से शुरू हो जाती हैं। लेकिन, इस बार कोरोना की वजह से देर हुई।

उन्होंने कहा कि कश्मीर में 90 फीसदी इलाके रेड जोन में हैं, इससे यात्रा का मार्ग प्रभावित हो सकता है। इसके बाद भी हमने बालटाल वाले रूट को क्लियर कर दिया है। हेलीपैड और बेस कैंप बनकर तैयार हैं। आगे जैसा माहौल रहा उसको देखते हुए फैसला लिया जाएगा। अभी हाल ही में श्री जगन्नाथ जी की यात्रा को लेकर जो फैसला लिया गया, हम उसे ध्यान में रखते हुए निर्णय लेंगे।

तस्वीर पिछले साल नवंबर की है। उपराज्यपाल जीसी मुर्मू को जवानों ने गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया। फोटो- अंकुर सेठी

नेताओं को हिरासत में लेने पर बोले, यह लॉ एंड ऑर्डर का मसला है

डॉ फारूक अब्दुल्ला के डोमेसाइल लॉ को संविधान विरोधी बताए जाने को लेकर उपराज्यपाल ने कहा कि यहां सबको अपनी बात रखने का अधिकार है। वे एक राजनेता हैं और यह उनका अपना मत है। महबूबा मुफ़्ती और दूसरे नेताओं पे लगे पीएसए को लेकर उन्होंने कहा कि यह लॉ एंड ऑर्डर का मसला है। समय-समय पर इसका आकलन किया जाता है।

अगस्त 2019 में जमीनी हालात को देखते हुए जिन नेताओं को हिरासत में लिया गया था वो सही था। अब धीरे-धीरे हालात ठीक हो रहे हैं और केस के आधार पर नेताओं को छोड़ा भी जा रहा है। जो बच गए हैं उनको लेकर भी विचार किया जा रहा है।

कश्मीर में कुछ नेताओं ने आरोप लगाया था कि सरकार सुरक्षा बलों के लिए स्कूल खाली करवा रही है और दो महीने की रसोई गैस जमा कर रही है। इसको लेकर उपराज्यपाल ने कहा कि यह सिर्फ परसेप्शन है और कुछ नहीं। जमीनी हकीकत ऐसी नहीं है। उन्होंने कहा कि हर साल बरसात के सीजन में ऐसा किया जाता है ताकि जरूरत के समय कोई परेशानी नहीं हो।

जीसी मुर्मू को उपराज्यपाल बनाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में रेड कार्पेट वेलकम किया गया था।फोटो- अंकुर सेठी

जम्मू-कश्मीर आतंकियों का प्रभाव घट रहा है

जम्मू कश्मीर में फिलहाल हालात बहुत अच्छे हैं और पहले से बहुत बेहतर हैं। आर्टिकल 370 हटाने के बाद यहां शांति है और लॉ एंड आर्डर की कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकियों का प्रभाव भी धीरे-धीरे कम हो रहा है। इसमें सुरक्षा बल के जवान बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। यहां के नौजवान समझ गए हैं कि कौन सा रास्ता उनके लिए ठीक है। सीमा पार से युवाओं को भड़काने की कोशिश की जाती है लेकिन इस बार आतंकियों की भर्ती बहुत कम हुई है।

बाहरी राज्यों से इन्वेस्टर्स को दे रहे न्योता

मुर्मू ने कहा कि हम विकास पर फोकस कर रहे हैं, यहां के लोगों को डेवलपमेंट से जोड़ रहे हैं। हमने अधर में लटके हुए कई प्रोजेक्ट्स परकाम शुरू किया है। अभी यहां 50 फीसदी प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है। प्रधानमंत्री की तरफ से घोषित पैकेज के अंतर्गत आनेवाले प्रोजेक्ट्स पर भी काम चल रहा है।

उपराज्यपाल ने बताया कि बैक टू विलेज कार्यक्रम में जिन कामों का चयन किया गया था, अब उन्हें पूरा किया जा रहा है। अभी हाल ही में 10 हजार पदों के लिए भर्तियां निकाली है। आगे हम और रोजगार के अवसर निकालेंगे। उन्होंने कहा कि बाहरी राज्यों से इन्वेस्टर्स को हम बुला रहे हैं ताकि युवाओं के लिए रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध हो सके।

तस्वीर पिछले साल की है।उपराज्यपाल जीसी मुर्मू, 'दरबार मूव' के दौरान सिविल सचिवालय में गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण करते हुए।फोटो- अंकुर सेठी

पंचायती राज को मजबूत कर रहे हैं

उपराज्यपाल ने कहा कि हम पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, विकास के कामों में तेजी ला रहे हैं। उन्होंने कहा भारत सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए और शहरी इलाकों में डेवलपमेंट के लिए भारी मात्रा में धन उपलब्ध करा रही है। कोरोना महामारी की वजह से काम में रुकावट आई लेकिन अब हम फिर से इसे रफ्तार देने की कोशिश कर रहे हैं।

हम लोगों को ई गवर्नेंस से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं
मुर्मू ने कहा कि हमारी कोशिश है कि लोगों को ई गवर्नेंस से जोड़ा जाए। हम धीरे-धीरे दूर दराज के इलाकों में भी बेहतर जन सुविधाएं विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं। इन इलाकों में बच्चों के लिए सैटेलाइट टेक्नोलॉजी के माध्यम से शिक्षा की सामग्री बांटने का प्रयास कर रहे हैं।

हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग शुरू की है
उपराज्यपाल ने कहा कि हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग शुरू की है। हम इसके लिए पॉलिसी रिफॉर्म, प्रोसेस रिफॉर्म और जरूरी बदलाव कर रहे हैं ताकि करप्शन को काबू कर सकें। फिलहाल कुछ मामले जांच के लिए सीबीआई को सौंपे हैं। जे एंड के बैंक, कोऑपरेटिव बैंक और लैंड स्कैम से जुड़े मामलों की जांच चल रही है। इसके इलावा आर्म्स लाइसेंस और रोशनी स्कीम में भी हुए घोटाले पर हमारी नजर है।

तस्वीर इस साल जनवरी की है।मौलाना आजाद क्रिकेट स्टेडियम (एमए स्टेडियम) काउद्घाटन करते जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू। फोटो- अंकुर सेठी

युवाओं के लिए बनाए जाएंगे मल्टीप्लेक्स
कश्मीर घाटी में युवाओं के लिए मल्टीप्लेक्स आवश्यक हैं। उनके पास मनोरंजन का कोई साधन नहीं है। हम जिला स्तर पर इनडोर स्टेडियम और स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर रहे हैं। ताकि वे बेहतर कर सकें और विकास में भागीदार बन सकें।

हेल्थ सेक्टर को बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं
हेल्थ सेक्टर को लेकर उपराज्यपाल ने कहा कि यहां सात मेडिकल कॉलेज व एक एम्स का निर्माण किया जा रहा है। पीएचसी, सीएचसी को अपग्रेड किया जा रहा है। प्राथमिकता के आधार पर मेडिकल इक्विपमेंट खरीदेजा रहेहैं।108 एम्बुलेंस सुविधा को चालू किया गया है। इसके साथ ही 1 हजार डॉक्टरों की भर्ती निकाली गई है। मुर्मू ने कहा किनिर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन को लेकर चुनाव आयोग काम कर रहा है।



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Domicile Law Kashmir | Jammu and Kashmir Lieutenant Governor Girish Chandra Murmu Speaks To Dainik Bhaskar Over Domicile Law


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घाटी को 36 हजार करोड़ का नुकसान, सेब के बाग, शिकारे और जेवर बेचकर रोजी-रोटी जुटाने की कोशिश https://ift.tt/2VuBVVH

कश्मीर घाटी पिछले 11 महीने से डबल लॉकडाउन झेल रही है। पिछले साल अगस्त में धारा 370 हटाने के ठीक पहले यहां एहतियातन लॉकडाउन लगा दिया गया था। सर्दियों में महीने भर के लिए लॉकडाउन खुला भी तो मार्च में कोरोना के कारण फिर से लॉकडाउन लगाना पड़ा।

इन 11 महीनों में कश्मीर घाटी ने पिछले तीन दशक मेंसबसे बड़ा आर्थिक नुकसान झेला है। सुरक्षा के चलते लगने वाले लॉकडाउन में कश्मीरियों ने खुद को हालातके मुताबिक ढाल लिया था। उसका आर्थिक स्थिति पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। लेकिन, इस बार मार सीधे जेब पर पड़ी है।

पर्यटन, हॉर्टिकल्चर, पश्मिना-हैंडीक्राफ्ट और ड्राय फ्रूट की बदौलत कश्मीर को आमदनी हासिल होती है। टूरिस्ट सीजन भी शुरू हो चुका है। लेकिन, कोरोना के चलते पर्यटकों से कश्मीर आने की उम्मीद नहीं की जा सकती। इस साल पश्मीना बुनाई का काम बंद है, केसर पर भी कोरोना का असर हुआ है।सेब और अखरोट को लॉकडाउन से ज्यादा मौसम से नुकसान हुआ है।

डल लेक पर 900 से अधिक हाउस बोट बने हैं। लॉकडाउन के कारण सभी पूरी तरह से खाली पड़े हैं।

डबल लॉकडाउन में 36 हजार करोड़ का घाटा

द कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने डबल लॉकडाउन का एनालिसिस दो फेज में किया है। अगस्त से लेकर दिसंबर तक 120 दिन घाटी में एक दर्जन से ज्यादा सेक्टर में करीब 18 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। यानी हर दिन करीब 120 करोड़ का घाटा कश्मीर के कारोबार को हुआ है। यही नहीं पांच लाख लोगों ने इस दौरान नौकरी भी गंवाई हैं।

कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के शेख अहमद के मुताबिक इस साल जनवरी से लेकर जून तक करीब 18 हजार करोड़ रुपए का नुकसान और हुआ है। यानी डबल लॉकडाउन में करीब 36 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा नुकसान कश्मीर घाटी में टूरिज्म, हॉर्टिकल्चर, टांसपोर्ट, हैंडीक्राफ्ट, एजुकेशन समेत एक दर्जन सेक्टर को हुआ है।

अहमद कहते हैं, कारोना के कारणकश्मीर के ट्रेड पर भी असर पड़ेगा। ऐसे हालात का सामना शायद पहली बार घाटी झेल रही है। यहां पर्यटन बढ़ने और दूसरे प्रदेशों में लॉकडाउन की बंदिशें कम होने से ही स्थिति सामान्य हो सकती है।लेकिन, इसमें कम से कम पांच साल तो लग ही जाएंगे।

इस समय डल लेक सूनी है, शिकारे भी नहीं चल रहे हैं, क्योंकि यहां पर्यटक ही नहीं आ रहे हैं।

परिवार चलाने के लिए 500 शिकारा वालों ने अपनी बोट बेच दी
ऑल जे एंड के टैक्सी शिकाराएसोसिएशन के प्रेसिडेंट वली मोहम्मद के मुताबिक डल झील में अभी 4880 शिकारा और 910 हाउस बोट हैं। पिछले 11 महीने में यहां मुश्किल से 20 दिन ही शिकारे चल पाए हैं। यही वजह है कि 500 शिकारा वालों ने अपनी बोट बेच दी।

उनके लिए मेंटेंनेंस का खर्च भी निकालना मुश्किल हो रहा था। एक शिकारा की कीमत करीब तीन लाख रुपए तक होती है।लेकिन, मजबूरी के चलते उसे 50 से 80 हजार रुपए में बेच दिया। टूरिस्ट सीजन में जब पर्यटक आते हैं तो एक शिकारे से तीन लाख रुपए तक कमाई हो जाती है। लेकिन, इस बार 20 हजार रुपए भी नहीं हो पाई।

कई शिकारे वाले ऐसे भी हैं जिन्होंने शिकारा तो नहीं बेचालेकिन अपनी पत्नी के जेवर बेच दिए। यही हाल हाउस बोट वालों का है। एक अच्छे सीजन में उनकी कमाई भी 6लाख रुपए तक हो जाती थी। लेकिन, इस बार 50 हजार रुपए से भी कम है। एक बोट हाउस के मेंटेनेंस का खर्च 70 हजार रुपए से ज्यादा आता है।

लॉकडाउन के कारण मंडी में फलों और सब्जियों की डिमांड कम हो गई है।

सेब का उत्पादन कमहुआ, बाग बेचने की तैयारी में किसान

दिल्ली कीआजाद मंडी के बादश्रीनगर की पारिम्पोरामंडी का नाम एशिया में दूसरे पायदान पर आता है। यहां के न्यू कश्मीर फ्रूट एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद यासीन बट ने बताया कि कश्मीर में प्लम, डबल चेरी और सेब की पैदावार होती है। लेकिन, इस बार तीनों में ही बहुत घाटा हुआ है। डबल चेरी की पैदावार तीन लाख किलो होती थी।

मुंबई, बैंगलोर और तमिलनाडु में इसकी डिमांड सबसे ज्यादा थी। लॉकडाउन के चलते इस बार चेरी की डिमांड कम है। हर साल 25 टन चेरी मुंबई जाती थी। लेकिन, इस बार सिर्फ पांच टन चेरी की डिमांड आई। चेरी से अलग-अलग प्रोडक्ट्स बनाने वाली श्रीनगर में दो दर्जन से ज्यादा कंपनियां हैं। लेकिन, डबल लॉकडाउन के चलते यहां सिर्फ तीन फैक्ट्रियांखुली हैं। जिसमेंसिर्फ 25 फीसदीवर्कर ही काम कर रहे हैं।

जम्मू- कश्मीर में धीरे-धीरे मंडियां खुल रही हैं लेकिन अभी ग्राहक ज्यादा नहीं पहुंच रहे हैं।

नवंबर में ओलागिरनेऔर गलत दवाओं के इस्तेमाल के कारण सेब की करीब 40% फसल खराब हो गई। 10 जुलाई से सेब मंडी में आने शुरूहो जाते हैं। इस बार लोगों को 30 से 40 फीसदी महंगा सेब मिलने की आशंका है। सेब किसानों की फसल इस कदर खराब हुई कि वो बाग बेचना चाहते हैं। लेकिन, उन्हें खरीददार नहीं मिल रहे हैं। पहले मंडी में 270 ट्रेडर हुआ करते थे। अभी करीब 120 ट्रेडर के पास कोई काम ही नहीं बचा है।

इस साल नई पश्मीना शॉल नहीं बुनी जाएंगी, पुरानी ही बेचेंगे
कश्मीरी फैंसी क्राफ्ट्स के सेक्रेटरी मुश्ताक अहमद बट ने बताया कि इस साल नई पश्मीना शॉल, फिरन, पुंचू का काम नहीं होगा। जो पुराना माल होगा वही बेचेंगे। 11 महीने से यहां लॉकडाउन है, इस कारण कई लोगो के पास पुराना माल भी नहीं बिकाहोगा। बडगाम, श्रीनगर, गांदरबल इन्हें बनाने का काम होता है।लगातार लॉकडाउन से कच्चा माल खरीदने के लिए कारिगरों के पास पैसे नहीं बचे है और अगर कोई खरीद भी लेता है तो वह उसे बेचने बाहर नहीं जा सकेगा।

यह शॉल बनाने वाली फैक्ट्री श्रीनगर के गाेजवारा इलाके में है। इस समय में यहां पश्मीना शॉल व गर्म कपड़े बनने का शुरु हो जाता था, लेकिन इस बार काम पूरी तरह से बंद है।

कश्मीरी केसर की फसल अच्छी, लेकिन ईरानी केसर ने कारोबार खत्म किया

जाफरान एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अब्दुल मजीद कहते हैं इस बार सही समय पर बरसात होने से केसर की फसल अच्छी होने की उम्मीद है। पिछले साल 17 टन केसर हुआ था। जिसकी कीमत 250 करोड़ रुपए से ज्यादा थी। इस सीजन में 20 टन से ज्यादा केसर हो सकता है। इसलिए उम्मीद है कि 300 करोड़रुपए से ज्यादा का कारोबार हो सकता है।
ईरान और अमेरिका के तनाव के चलते ईरानी केसर सस्ते में भारत के बाजार में पहुंचा है। इस केसर को कश्मीरी केसर बोलकर बेचा जा रहा है। एक किलो ईरानी केसर की कीमत करीब 50 रुपए होती है। वहीं एक किलो कश्मीरी केसर की कीमत डेढ़ से दो लाख रुपए होती है। गुणवत्ता के लिहाज से कश्मीरी केसर ईरान वाले से कहीं ज्यादा अच्छा होता है।



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पिछले 11 महीने के दौरान जम्मू-कश्मीर को डबल लॉकडाउन का सामना करना पड़ा है। पहला अगस्त 2019 में आर्टिकल 370 हटाने के बाद और दूसरा कोरोना के कारण इस साल लगाना पड़ा।


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1 जुलाई से राज्य के लोग कर सकेंगे बद्रीनाथ और केदारनाथ के दर्शन, कोरोना की वजह से पुजारी और समितियां अभी यात्रा शुरू करने के पक्ष में नहीं https://ift.tt/2AeFrMq

नेशनल अनलॉक की प्रक्रिया में 1 जुलाई से उत्तराखंड के चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री मंदिरराज्य के आम दर्शनार्थियों के लिए खुल जाएंगे। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानमप्रबंधन बोर्ड ने 29 जून को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से मंदिर समितियां और पुजारी अभी दर्शन शुरू करने के पक्ष में नहीं हैं।

इस संबंध में हमने बद्रीनाथ के रावल ईश्वरप्रसाद नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल, केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित विनोद प्रसाद शुक्ला, गंगोत्री मंदिर समिति अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, यमनोत्री मंदिर समिति सचिव कृतेश्वर उनियाल से बात की है।

देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि चारधाम दर्शन के लिए आने वाले लोगों को बोर्ड की वेबसाइट https://ift.tt/31RZQAk पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके बाद ही मंदिरों में दर्शन करने की अनुमति मिलेगी। भक्तों को अपने साथ ई-पास और फोटो आईडी अनिवार्य रूप से रखना होगा। इनके आधार पर जिला पुलिस धाम क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति देगी।

अन्य राज्य के लोगों को, क्वारैंटाइन किए गए, कंटेंमेंट और बफर झोन से आने वाले लोगों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यहां आने वाले भक्तों को मंदिर क्षेत्र में रुकने के लिए एक दिन की अनुमति मिलेगी। विशेष परिस्थितियों में ये समय बढ़ भी सकता है। इन मंदिरों के आसपास स्थित धर्मशालाएं, होटल्स, रेस्टोरेंट, ढाबे, गेस्ट हाउस से संबंधित लोगों के लिए मरम्मत आदि कार्य करने की अनुमति रहेगी।

श्रद्धालुओं के लिए जरूरी है नियमों का पालन करना

चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को मास्क पहनना होगा, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। 65 साल से अधिक उम्र वाले लोग और 10 साल से छोटे बच्चों को दर्शन करने की अनुमति नहीं मिलेगी। जिन लोगों में महामारी से संबंधित कोई भी लक्षण होंगे, उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाएगा। भगवान को प्रसाद, हार-फूल चढ़ाना वर्जित रहेगा। दूर से ही भगवान के दर्शन कराना होंगे।

मंदिर के पुजारी और समितियां दर्शन यात्रा शुरू करने के पक्ष में नहीं

उत्तराखंड सरकार 1 जुलाई से इन मंदिरों में दर्शन व्यवस्था शुरू कर रही है, लेकिन इन मंदिरों के पुजारी और समितियां कोरोना वायरस की वजह से अभी दर्शन शुरू करने के पक्ष में नहीं हैं।

बद्रीनाथ के रावल ईश्वरप्रसाद नंबूदरी का कहना है कि अभी देशभर में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है। ऐसी स्थिति में यात्रा करना स्वास्थ्य की दृष्टि से सही नहीं है। बाहर के लोग यहां आएंगे तो इस क्षेत्र में महामारी फैल सकती है। अभी भगवान भी यही चाहते हैं कि सभी भक्त अपने-अपने घर पर ही रहें और घर में ही पूजा-पाठ करें। इसी में सभी का हित है। जब तक महामारी का प्रकोप कम न हो जाए, तब तक सभी को सावधानी रखनी चाहिए। बद्रीनाथ क्षेत्र के लोग भी यही चाहते हैं कि अभी दर्शन शुरू नहीं होना चाहिए।

बद्रीनाथ के धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल ने बताया कि अभी यहां उच्च स्तर की स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्थाएं उपलब्ध नहीं है। अभी क्षेत्र में सुविधाओं का अभाव है। शासन को भक्तों के लिए यहां रहने, खाने और ठहरने की व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए।

केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित विनोद प्रसाद शुक्ला इस समय यात्रा शुरू करने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने बताया कि केदारनाथ क्षेत्र में सभी होटल्स, धर्मशालाएं अभी बंद हैं। ऐसे में यहां आने वाले लोगों को रहने-खाने की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। बाहरी लोग यहां आएंगे तो यहां भी कोरोना वायरस फैल सकता है। इसीलिए हम इस समय यात्रा शुरू करने का विरोध कर रहे हैं।

गंगोत्री मंदिर समिति अध्यक्ष सुरेश सेमवाल के मुताबिक, हम अभी बाहरी लोगों के लिए दर्शन शुरू करना नहीं चाहते हैं। अगर इस क्षेत्र में महामारी बढ़ जाती है, यहां के लोगों के लिए परेशानियां काफी बढ़ जाएंगी।
यमनोत्री मंदिर समिति के सचिव कृतेश्व उनियाल कहते हैं कि यमनोत्री क्षेत्र में सभी होटल्स, रेस्टोरेंट बंद हैं। महामारी को देखते हुए शासन को यहां जरूरी व्यवस्थाओं पर ध्यान देना चाहिए। अभी यात्रा शुरू होती है तो स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ सकती हैं।


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मौत का खतरा डॉक्टरों को कम, सिक्योरिटी गार्ड को ज्यादा, ब्रिटेन में 4700 मरीजों पर हुई रिसर्च का नतीजा https://ift.tt/2YKCz3y

कोरोना से मौत का खतरा डॉक्टरों से दोगुना फैक्ट्री के मजदूरों और सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहे लोगों को है। यह आंकड़ा ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने अलग-अलग क्षेत्र में काम कर रहे 4700 कोविड-19 के मरीजों के डेटाका एनालिसिस करने के बाद जारी किया है। रिपोर्ट में 9 मार्च से 25 मई के बीच 20 से 64 साल के कोरोना पीड़ितों को शामिल किया था।

रिसर्च में सामने आया कि एक लाख लोगों पर 74 पुरुष सिक्योरिटी गार्ड और 73 फैक्ट्री वर्कर की कोरोना से मौत हुई।

1 लाख लोगों पर 30 स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हुई

वहीं, स्वास्थ्य कर्मियों में यही आंकड़ा अलग रहा है। इनमें 1 लाख लोगों पर 30 स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हुई। विशेषज्ञों के मुताबिक, एम्बुलेंस स्टाफ में संक्रमण का खतरा 82.4 फीसदी रहा, जो सबसे ज्यादा था। हालांकि, हमारा मकसद यह बताना नहीं है कि डॉक्टरी पेशे के मुकाबले ये नौकरियांखतरनाक हैं बल्कि, लोगों को सावधान रखना है।

गार्ड और मजदूर सबसे ज्यादा सम्पर्क में आए
विशेषज्ञों के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान भी फैक्ट्री वर्करों ने लगातार काम किया। जब कोरोना के मामले तेजी से फैल रहे थे तो वो लोगों के सम्पर्क में भी आए। वहीं, सुपर मार्केट में तैनात सिक्योरिटी गार्ड्स लाइन में लगे कस्टमर को सोशल डिस्टेंसिंग से बचाते हुए सैकड़ों लोगों सम्पर्क में आए।

सबसे अधिक खतरा अश्वेत-एशियाई लोगों को

विशेषज्ञों के मुताबिक, पुरुषों के लिए 17 अलग-अलग क्षेत्रों में मौत का खतरा अधिक रहा। इनमें टैक्सी ड्राइवर (65.3), शेफ (56.8), बस एंड कोच ड्राइवर्स (44.2), सेल्स-रिटेलअसिस्टेंट (34.2) शामिल हैं। जबकि ब्रिटेन में कोविड-19 मौत की दर 19.1 रही है। कोविड-19 से मौत के आंकड़े 1 लाख आबादी के आधार पर है।इनमें भी सबसे अधिक खतरा अश्वेत और एशियाई मूल के लोगों को है।

महिलाओंमें मौत का सर्वाधिक खतरा ग्रूमिंग इंडस्ट्री से
विशेषज्ञों के मुताबिक, महिलाओं में मौत का सबसे अधिक खतरा ग्रूमिंग इंडस्ट्री में काम करने वालीमहिलाओं को है। इनमें एक लाख में 31 महिलाओं की मौत हुई। हेल्थ एनालिस्ट बेन हम्बरस्टोन के मुताबिक, सिर्फ किसी क्षेत्र में मौत का खतरा अंतिम नतीजा नहीं है, इसके लिए यह भी निर्भर करता है कि आप किसउम्र औरकिस मूल के हैं।



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Coronavirus Death/Factory Worker and Security Guards Latest Updates By National Statistics (ONS) Experts


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Exploring the Human Skin Cells

Human skin cells : these microscopic powerhouses form the foundation of our body's largest organ, orchestrating a symphony of functions...