Header logo

Sunday, August 30, 2020

कोरोना से धारावी की बदनामी, 50 फीसदी दुकानें खाली हो गईं, मुंबई में इस दिवाली हो सकती है दीये की किल्लत https://ift.tt/2YOt2YN

(विनोद यादव) ‘मैं सुबह 9 बजे दुकान पर आया हूं। शाम के 7 बज गए हैं। एक भी ग्राहक नहीं आया। धारावी से लेदर सहित अन्य सामानों का एक्सपोर्ट तो लगभग ठप्प हो गया है।’ यह कहना है कि धारावी लेदर गुड्स मैन्युफैक्चरिंग एसोसिशन के वर्किंग प्रेसिडेंट राजेश सोनावणे का।

सोनावणे बताते हैं कि कोरोना की वजह से धारावी की हुई बदनामी के कारण यहां अब भी ग्राहक नहीं आ रहे हैं। जिसकी वजह से जिन लोगों ने किराए पर दुकानें ले रखी थीं। उसमें से 50 फीसदी लोगों ने दुकान ही खाली कर दी है। मार्केट में मांग नहीं होने की वजह से दुकानदार किराया तक नहीं दे पा रहे हैं।

हब ऑफ इंटरनेशनल एक्सपोर्ट कहे जाने वाले धारावी में कोरोना के कारण लोग आने में घबराने लगे हैं

यहां इन्क्वायरी भी सिर्फ फार्मास्युटिकल कंपनी और थोड़ी बहुत गिफ्ट के सामानों की आ रही है। हब ऑफ इंटरनेशनल एक्सपोर्ट कहे जाने वाले धारावी में कोरोना के कारण लोग आने में घबराने लगे हैं। इस इलाके में अब तक 2700 से ज्यादा कोरोना के मरीज मिले हैं, हालांकि एक्टिव केस अब 100 से भी कम है। बावजूद इसके इस इलाके में ग्राहक आने से घबरा रहे हैं।

यहां का कुंभारवाड़ा मिट्‌टी के सामान बनाने के लिए पूरी मुंबई में मशहूर है। यहां के प्रजापति सहकारी उत्पादक संघ के अध्यक्ष कमलेश चित्रोडा ने बताया कि नवरात्रि से दीपावली तक हमारे दो लाख दीये बिकते थे। अभी इस बार उतने दीए नहीं बने हैं। कोरोना की वजह से मजदूरों की भारी कमी है।

गोडाउन में मजदूर सोशल डिस्टेंसिंग के कारण इकट्‌ठा नहीं हो पा रहे हैं। उन्हें स्वास्थ्य के साथ जुर्माने का भी डर है। चित्रोड़ा के अनुसार धारावी में मिट्‌टी के दिए बनाने का काम कम से कम दो-तीन महीने पहले शुरू होता था। लेकिन, हम इस बार करीब 50 फीसदी दीये ही बना पाएंगे।

तो इस बार मुंबई में दिवाली के मौके पर दीयों की किल्लत हो सकती है

वे बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से पर्याप्त मात्रा में मिट्‌टी भी नहीं आ पाई। चित्रोड़ा का अनुमान है कि यदि यदि बाजार में डिमांड सुस्त रहती है, तो इस बार मुंबई में दिवाली के मौके पर दीयों की किल्लत होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। धारावी के ही कामराज नगर लेदर शॉप एसोसिएशन के प्रेसिडेंट चंद्रकांत पोटे बताते हैं कि हमारे यहां बिकने वाले ज्यादातर आइटम नॉन एसेंशियल हैं।

लिहाजा हमारा धंधा मंदा चल रहा है। वे भी सोनावणे की इस बात से इक्तेफाक रखते हैं कि धारावी में कोरोना मरीजों की संख्या बड़े पैमाने पर बढ़ने की खबर से यहां के उद्योग-धंधों को बहुत नुकसान हुआ है।

क्यों महत्व्पूर्ण है ये इलाका : मुंबई मनपा के जिस जी-उत्तर वार्ड के अंतर्गत धारावी का इलाका आता है। उसके सहायक मनपा आयुक्त किरण दिघावकर बताते हैं कि 2.5 वर्ग किमी में फैली धारावी में 5 हजार जीएसटी रजिस्टर्ड इंटरप्राइजेज हैं। इसके अलावा 15 हजार एक कमरे वाली फैक्टरियां हैं।

धारावी इलाके का सालाना टर्नओवर करीब 7 हजार करोड़ रुपए है। जिसकी वजह से धारावी को “हब ऑफ इंटरनेशनल एक्सपोर्ट” भी कहा जाता है। मगर अब धारावी की लेदर इंडस्ट्रीज हो, प्लास्टिक रीसाइक्लिंग इंडस्ट्रीज हो, गार्मेंट फैक्टरी हो या फिर मेटल इंडस्ट्रीज सभी की हालत खस्ता है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
कोरोना के चलते धारावी इलाके में मजदूरों की भी कमी हो गई है। (फाइल फोटो)


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3luUaWq

No comments:

Post a Comment

What is NHS Medical? A Comprehensive Guide

The National Health Service (NHS) is a cornerstone of the United Kingdom’s healthcare system, providing a wide range of medical services to...