Header logo
Sunday, May 31, 2020
Thousands Protest George Floyd’s Death In N.Y.C.
By BY YOUSUR AL-HLOU AND EMILY RHYNE from NYT U.S. https://ift.tt/2Am8oWs
via
A Reporter’s Cry on Live TV: ‘I’m Getting Shot! I’m Getting Shot!’
By BY FRANCES ROBLES from NYT U.S. https://ift.tt/2MdZzR9
via
प्रधानमंत्री मोदी आज सुबह 11 बजे 'मन की बात' करेंगे, कल से शुरू हो रहे 'अनलॉक-1' पर चर्चा कर सकते हैं https://ift.tt/2XfO9mo
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवारसुबह 11 बजे अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात'में देश से मुखातिब होंगे। कार्यक्रम का यह 65वां संस्करण है।प्रधानमंत्री मोदी ने बीते सोमवार को इस कार्यक्रम के लिए जनता से सुझाव भी मांगे थे।
ऐसा कहा जा रहा है कि मोदी 'मन की बात' में एक जून से शुरू हो रहे 'अनलॉक-1' के बारे में चर्चा करेंगे। कोरोना महामारी की वजह से अभी तक देश में चार लॉकडाउन लग चुके हैं। वेलॉकडाउन के दौरान तीसरी बार जनता को इस कार्यक्रम के माध्यम से संबोधित करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नेइससे पहले 29 मार्च और फिर 26 अप्रैल को 'मन की बात' की थी।
मोदी ने कहा था- लॉकडाउन से हुई परेशानी के लिए क्षमा मांगता हूं, सोशल डिस्टेंसिंग बढ़ाएं, इमोशनल डिस्टेंसिंग घटाएं
- प्रधानमंत्री ने26 अप्रैल को 'मन की बात' में कहा था, 'आमतौर पर मन की बात में कई विषयों को लेकर आता हूं। आज दुनियाभर में कोरोना संकट की चर्चा है। ऐसे में दूसरी बातें करना उचित नहीं होगा। कुछ ऐसे फैसले लेने पड़े हैं, जिनसे गरीबों को परेशानी हुई। सभी लोगों से क्षमा मांगता हूं।'
- 'मैं आप सबकी परेशानी को समझता हूं, लेकिन कोरोना के खिलाफ लड़ाई में इसके सिवाय कोई चारा नहीं था। किसी का ऐसा करने का मन नहीं करता, लेकिन मुझे आपके परिवार को सुरक्षित रखना है। इसलिए दोबारा क्षमा मांगता हूं।'
लॉकडाउन-5 की जगह 'अनलॉक-1' 30 जून तक
कोरोना संक्रमण रोकने के लिए चार चरणों में 68 दिन चला लॉकडाउनका दौर 1 जून से खत्म हो रहा है। गृह मंत्रालय ने शनिवार को लॉकडाउन-5 की जगह अनलॉक-1 का फॉर्मूला दिया। इसकी गाइडलाइंस भी जारी की हैं। रियायतें बढ़ाने के साथ ही सरकार ने मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग समेत कई ऐहतियात बरतने की सलाह दी है। लॉकडाउन की पाबंदी 30 जून तक सिर्फ कंटेनमेंट जोन में रहेंगी। रियायतों पर अंतिम फैसला राज्य करेंगे। राज्य कंटेनमेंट के बाहर भी गतिविधियां रोक सकते हैं।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3ckaqnp
प्रधानमंत्री मोदी आज सुबह 11 बजे 'मन की बात' करेंगे, कल से शुरू हो रहे 'अनलॉक-1' पर चर्चा कर सकते हैं https://ift.tt/3gxDIlP
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवारसुबह 11 बजे अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात'में देश से मुखातिब होंगे। कार्यक्रम का यह 65वां संस्करण है।प्रधानमंत्री मोदी ने बीते सोमवार को इस कार्यक्रम के लिए जनता से सुझाव भी मांगे थे।
ऐसा कहा जा रहा है कि मोदी 'मन की बात' में एक जून से शुरू हो रहे 'अनलॉक-1' के बारे में चर्चा करेंगे। कोरोना महामारी की वजह से अभी तक देश में चार लॉकडाउन लग चुके हैं। वेलॉकडाउन के दौरान तीसरी बार जनता को इस कार्यक्रम के माध्यम से संबोधित करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नेइससे पहले 29 मार्च और फिर 26 अप्रैल को 'मन की बात' की थी।
मोदी ने कहा था- लॉकडाउन से हुई परेशानी के लिए क्षमा मांगता हूं, सोशल डिस्टेंसिंग बढ़ाएं, इमोशनल डिस्टेंसिंग घटाएं
- प्रधानमंत्री ने26 अप्रैल को 'मन की बात' में कहा था, 'आमतौर पर मन की बात में कई विषयों को लेकर आता हूं। आज दुनियाभर में कोरोना संकट की चर्चा है। ऐसे में दूसरी बातें करना उचित नहीं होगा। कुछ ऐसे फैसले लेने पड़े हैं, जिनसे गरीबों को परेशानी हुई। सभी लोगों से क्षमा मांगता हूं।'
- 'मैं आप सबकी परेशानी को समझता हूं, लेकिन कोरोना के खिलाफ लड़ाई में इसके सिवाय कोई चारा नहीं था। किसी का ऐसा करने का मन नहीं करता, लेकिन मुझे आपके परिवार को सुरक्षित रखना है। इसलिए दोबारा क्षमा मांगता हूं।'
लॉकडाउन-5 की जगह 'अनलॉक-1' 30 जून तक
कोरोना संक्रमण रोकने के लिए चार चरणों में 68 दिन चला लॉकडाउनका दौर 1 जून से खत्म हो रहा है। गृह मंत्रालय ने शनिवार को लॉकडाउन-5 की जगह अनलॉक-1 का फॉर्मूला दिया। इसकी गाइडलाइंस भी जारी की हैं। रियायतें बढ़ाने के साथ ही सरकार ने मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग समेत कई ऐहतियात बरतने की सलाह दी है। लॉकडाउन की पाबंदी 30 जून तक सिर्फ कंटेनमेंट जोन में रहेंगी। रियायतों पर अंतिम फैसला राज्य करेंगे। राज्य कंटेनमेंट के बाहर भी गतिविधियां रोक सकते हैं।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar /national/news/prime-minister-narendra-modi-address-nation-through-mann-ki-baat-on-31-may-127359026.html
तय समय पर ही होगा महाकुंभ लेकिन बदल सकता है स्वरूप, विदेशी पर्यटकों में भी आ सकती है कमी https://ift.tt/3ccaHbW
मार्च 2021 में हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन होना है। कोरोनावायरस के चलते इसे आगे बढ़ाने को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। हरिद्वार के कुछ संतों का मत है कि मेला एक साल के लिए आगे बढ़ाना चाहिए, ये 2022 में होना चाहिए। उत्तराखंड सरकार ने भी लॉकडाउन के चलते कुंभ से जुड़े कुछ कामों पर रोक लगा दी है।
हालांकि, मेले को आगे बढ़ाने पर अभी कोई विचार नहीं किया जा रहा है, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने भी स्पष्ट किया है कि मेला आगे बढ़ाया नहीं जा सकता है क्योंकि ये सनातन परंपरा का मामला है। अभी इस पर विचार नहीं किया जा रहा है। मेला प्रशासन ने भी ये स्पष्ट किया है कि अखाड़ा परिषद की सहमति के बिना कोई फैसला नहीं होगा। अभी मेले की तैयारियां जारी हैं।
हरिद्वार महाकुंभ में अभी लगभग 7 महीने के समय शेष है। राज्य सरकार के लिए ये प्रतिष्ठा वाला आयोजन है। इसके लिए बड़े पैमाने पर खर्च भी किया जा रहा है। महाकुंभ को विश्वस्तरीय स्वरूप देने के लिए अभी तक उत्तराखंड सरकार करीब 400 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। इस कुंभ मेले में लगभग 5 करोड़ से ज्यादा लोगों के आने का अनुमान था। लेकिन, अब अनुमान है कि कुंभ के भव्य स्वरूप में कुछ कमी आ सकती है। आम लोगों की भागीदारी कम हो सकती है। कोरोना वायरस और नेशनल लॉकडाउन के चलते पिछले ढाई महीने में कुछ काम प्रभावित हुए हैं।
पिछले ढाई महीने में बदली परिस्थितियों से कुछ आशंकाएं संतों के मन में उभरी हैं। कुछ संतों का मत है कि इस बार कुंभ को एक साल आगे बढ़ा देना चाहिए। स्वामी विश्वात्मानंद पुरी के मुताबिक विशेष परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा किया जा सकता है। एक साल आगे बढ़ाने में कोई हर्ज नहीं है। कुछ अन्य संतों का भी ऐसा ही मत है। हालांकि, मेला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मेले को आगे बढ़ाने को लेकर फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। मेले पर कोई भी निर्णय अखाड़ा परिषद की सहमति के बिना नहीं लिया जाएगा।
- मेला तय समय पर ही होगा - स्वामी नरेंद्र गिरि
अखाड़ा परिषद के अध्यत्र महंत नरेंद्र गिरि के मुताबिक हरिद्वार कुंभ मेले को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। ये सनातन परंपरा का मामला है। अभी कुंभ में काफी समय है। तब तक परिस्थितियां काफी सुधर सकती है। उत्तराखंड सरकार की तरफ से भी अभी इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है। हरिद्वार में काफी अच्छी गति के साथ काम चल रहा है। महाकुंभ तय समय पर ही होगा।
- 1200 करोड़ का बजट स्वीकृत है
महाकुंभ मेले की तैयारी पर प्रदेश सरकार अब तक लगभग 400 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। इस साल केंद्र सरकार ने भी कुंभ मेला के लिए 365 करोड़ रुपए स्वीकृत कर दिए हैं। सरकार इस बजट को अपने पहले से हो चुके खर्च में ही समायोजित करने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा राज्य सरकार ने भी अपने मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट में कुंभ मेला के लिए 1200 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान रखा है।
- कुछ संशोधित हो सकता है स्वरूप
कोरोनावायरस के चलते हरिद्वार कुंभ पर भी कुछ असर पड़ सकता है। संभव है कि कोरोना के पहले विदेशों से जितने पर्यटकों के आने का अनुमान था, उतने पर्यटन ना आएं। लोकल पर्यटकों की संख्या भी सीमित करने पर विचार किया जा सकता है। राज्य शहरी विकास मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया है कि कुंभ मेले को लेकर केंद्र सरकार से जो गाइड लाइन मिलेगी उसका पालन किया जाएगा। अभी कोई नए काम स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। अगर कोई आवश्यकता पड़ी भी तो अस्थायी निर्माण किया जाएगा।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2ZOTqTD
झुग्गी में रहने वाले बच्चों को स्कूल बुलाने टीचर ने मोबाइल नंबर लिया था, अब उसी पर लेसन भेज देती हैं, कई बार टीचर ही रिचार्ज भी कराती हैं https://ift.tt/2ZR2iYN
'My name is Kareena. I am student of Class 5.. पढ़ना अच्छा लगता है मुझे। मेरी मैम पढ़ाती हैं ऑनलाइन मोबाइल में। .... Early to bed and early to rise....'
दस साल की करीना के पिता मोची हैं और मां मंदिर की सफाई करती हैं। उसका भाई सूरज 6 साल का और बहन काजल 7 साल की है। उत्तर प्रदेश के नोएडा की एक बस्ती में रहने वाले इन बच्चों के पास चिलचिलाती धूप में पहनने के लिए चप्पल भी नहीं, लेकिन पढ़ने का जज्बा जरूर है। ABCD पढ़ना इन्हें पसंद है। और सरकारी स्कूल भले ही बंद हो, लेकिन इनकी टीचर इन्हें वॉट्सऐप के जरिए पढ़ाती हैं।
करीना की मां कविता देवी गरीबी और लॉकडाउन में काम ना होने की मार झेल रही हैं। वो कहती हैं, ‘मैसेज आ जाता है तो बच्चों को दिखा देती हूं और वो काम कर लेती है। उतना पढ़ाई तो नहीं होती लेकिन हल्की फुल्की पढ़ाई हो जाती है।’
करीना कहती हैं, ‘मेरी मैम का नाम अनु शर्मा है। फरवरी से जब हमारा स्कूल चालू था तबसे ही हमारा वॉट्सऐप चालू है। मैम ने सभी बच्चों कानंबर लिया था। इसलिए क्योंकि जो बच्चा स्कूल नहीं आता था उसको वॉट्सऐप करके स्कूल बुला लेती थीं। फिर लॉकडाउन में उसी से ही ऑनलाइन ही पढाने लगीं।’
करीना कहती हैं जैसै वॉट्सऐप पर पढ़ते हैं वैसे ही उस पर एग्जाम भी होती है। करीना ने बताया, ‘आज सीड के बारे में लेसन है। सीड यानी बीज। हम लेसन देखकर कॉपी में उतारते हैं। और फिर उन्हें फोन पर भेजते हैं। दिन में तीन चार लेसन भेजती हैं। जैसे अपोसिट वर्ड ये सब मैम पूछती हैं। तो फिर हम लोग लिखकर कॉपी में उतारकर फिर वॉट्सऐप करके भेज देते हैं।’
हालांकि, काफी बच्चे ऐसे भी हैं जिनके लिए ये विकल्प नहीं। करीना की दोस्त काजल इसी बस्ती में रहती है। उसके पिता एक छोटी से फूलों की नर्सरी में काम करते हैं। वो तीसरी कक्षा में है और अंग्रेज़ी पढ़ना उसे भी पसंद है। काजल कहती है मेरा मोबाइल नहीं है इसलिए मैं नहीं पढ़ पाती। मैं अपने घर में ही खुद से पढाई कर रही हूं।
किसी का मोबाइल फोन ना होना या उसका खराब हो जाना या इंटरनेट ठप्प होना? क्लासरूम से दूर देश के अलग-अलग हिस्सों में लॉकडाउन से प्रभावित गरीब बच्चों की दिक्कतें कई सारी हैं।
झारखंड के देवघर में 11 साल की शिफा मिर्ज़ा सरकारी स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ाई कर रही हैं। वो अपनी टीचर के बनाए वॉट्सऐप ग्रुप का हिस्सा तो जरूर हैं, लेकिन फोन में हमेशा रिचार्ज रहे या पिता के पास रिचार्ज के पैसे हो इसकी गारंटी नहीं।
शिफा कहती हैं, ‘कोरोना के चलते मैं स्कूल नहीं जा पाती हूं इसलिए हमारी पढ़ाई रुक गई तो हमें बहुत बुरा लगा। मैम ने हमें वॉट्सऐप ग्रुप में ऐड किया है। मैम हमें वीडियो भेजती हैं। स्कूल के जितने भी शिक्षक हैं, हम उनसे हर विषय पर बात करते हैं। बुरा तब लगता है जब पापा कहते हैं कि रिचार्ज करने के लिए पैसे नहीं है। और तब पढ़ाई रुक जाती है। मेरे घर में टीवी नहीं जो मैं पढ़ाई कर सकूं।’
20 साल से देवघर में सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहीं श्वेता शर्मा कहती हैं, ‘मैं एक सरकारी स्कूल में पढ़ाती हूं, जहां 350 बच्चे हैं। इन बच्चों को पिछले 2-3 महीनों में हमने अपने वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़ने का प्रयास किया, लेकिन हम कुछ हद तक ही सफल हो सके हैं। करीब 200 बच्चे इस वक़्त हमारे ग्रुप में जुड़े हैं।’
श्वेता कहती हैं, ‘परेशानी हमारी ये थी कि बच्चों के पास या तो मोबाइल फोन की सुविधा नहीं है या तो इंटरनेट की सुविधा नहीं है। जहां राशन पानी की दिक्कत है वहां उनसे ये मांग करना कि आप फोन खरीदकर उसमें रिचार्ज पैक डलवाए तो वो काफी अनुचित लग रहा था।’
चुनौतियों के बावजूद आज इन्फॉरमेशन कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी का प्रयोग तमाम राज्यों के कई सरकारी स्कूल बच्चों को उनके घर बैठे ही पढ़ाने के लिए कर रहे हैं। कहीं वेबिनार के जरिए लेक्चर दिए जा रहे हैं, पैरेंट्स टीचर मीटिंग भी हो रही हैं। तो कही डिश टीवी या वेबसाइट जैसे माध्यमों से कुछ स्कूल अपने लेसन टीवी पर दे रहे हैं।
श्वेता कहती हैं, ‘जिन बच्चों के पास मोबाइल फोन थे लेकिन रिचार्ज नही, उनके लिए हमने अपने शिक्षकों से आग्रह किया कि अगर वो बच्चों के डेटा पैक्स की फंडिंग कर सकें। जिन बच्चों के पास मोबाइल नहीं लेकिन टीवी थी, उन्हें दूरदर्शन के माध्यम से जो भी कार्यक्रम आ रहे थे वो हमने दिखाने की कोशिश की।
श्वेता इसे लॉकडाउन का सकारात्मक पक्ष मानती हैं कि आज बड़े पैमाने पर दूर-दराज इलाकों में जारी सरकारी विद्यालयों में भी तकनीक की क्रांति देखने को मिल रही हैं।
छोटे गांव, कस्बे हों या दिल्ली जैसे बड़े राज्य। आज ऑनलाइन शिक्षा एक मौका भी है और बड़ी चुनौती भी। खासकर उन पब्लिक स्कूलों के लिए जो निजी स्कूलों जैसी ऊंची फीस नहीं वसूलते। दिल्ली की 1040 सरकारी स्कूलों में 30 जून तक गर्मी की छुट्टियां हैं। लेकिन सातवीं की छात्रा निधि ठाकुर दिल्ली स्थित अपने सरकारी स्कूल की लॉकडाउन में जारी पढाई से खुश हैं।
कहती है, ‘मेरी ऑनलाइन क्लास इस तरीके से फोन पर आती है और हम लोग उसे नोट करते हैं अपनी कॉपी में। फिर हम कॉपी से फोटो भेजते हैं वॉट्सऐप पर और अगर हमने कोई गलत जवाब दिया है तो मैम हमें बताती हैं। कई बार वीडियो के जरिए भी मैम हमें समझाती हैं।’
हर विषय का एक-एक लेसन बच्चों को वॉट्सऐप से लेकर गूगल चैटरूम के ज़रिए करवाया जाता है। लेकिन इसे लेकर निधि की मां सरिष्ठा ठाकुर की अपनी मुश्किलें हैं।
सरिष्ठा कहती हैं, ‘आसानी क्या ये तो मुश्किल है कि बच्चे चौबीस घंटे फोन पर लगे रहते हैं। तो कब तक आंखें ठीक रहेंगी। फोन पर बच्चे बैठते हैं तो कभी गेम खेलने लगते हैं तो कभी कुछ और। ये है कि काम टीचर्स दे रहे हैं तो चल रहा है। लेकिन कहीं छोटे-छोटे मोबाइल हैं, कहीं मोबाइल तो कहीं लैपटॉप नहीं। इंटरनेट भी कभी वीक हो जाता है चाहे कितना भी डाटा डलवाएं।
बारहवी की परीक्षा दे चुकीं मुक्ता बताती हैं,13 साल के भाई कनव की सातवीं की पढाई शुरू हुई है. लेकिन क्लास के 54 छात्रों में सिर्फ आधे ही बच्चे वॉट्सऐप पर जुड़े हैं। टीचर वीडियो कभी-कभी भेजते हैं, बच्चे उन्हें डाउनलोड करके उन्हें रट लेते हैं, लेकिन उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। बच्चे कॉपी कर रहे हैं। मेरे भाई बहन को खुद कोई टेंशन नहीं है।
कोरोनावायरस से आज दुनिया का कोई भी सेक्टर अछूता नहीं हैं। शिक्षा की बात करें तो बच्चे, टीचर, मां-बाप कई दिक्कतों से घिरे हैं।
क्लासरूम में बच्चों के लौटने पर उनकी सेहत को खतरे के से जुड़े कई तरह के विचार और तर्क हैं। लेकिन इन सबके बावजूद आज फेक न्यूज के लिए बदनाम वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी कई नन्हें मासूमों की शिक्षा का एक विकल्प भी बना है। और आने वाले दिनों में सरकारों को कोशिश करनी होगी कि हर बच्चे के परिवार तक फोन और रिचार्ज की कोई सुविधा पहुंच सके ताकि कोविड की मार मासूमों की शिक्षा पर भारी ना पड़े।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3gHowCO
दो महीने अकेली हॉस्टल में रही मॉरिशस की पूरवशा, वहां की सरकार ने फ्लाइट भेजी तो लौटने से इनकार कर दिया https://ift.tt/36L5nel
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक हॉस्टल में मॉरिशस की पूरवशा सुखु दो माह तक अकेली रही। लॉकडाउन लगते ही पूरा हॉस्टल खाली हो गया लेकिन फ्लाइट्स बंद होने के चलते पूरवशा यहीं फंस गई।
इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने न सिर्फ पूरवशा के लिए हॉस्टल खोले रखने का फैसला लिया बल्कि उसे दोनों टाइम चाय-नाशता और खाना भी दिया।
अभी दो हफ्ते पहले जब हॉस्टल को क्वारैंटाइन सेंटर बनाया गया तो कॉलेज की टीचर उसे अपने घर ले आईं।
पूरवशा ने 12वीं बोर्ड में पूरे मॉरिशस में मराठी सब्जेक्ट में टॉप किया था। इसी के चलते उन्हें भारत सरकार द्वारा मराठी पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप ऑफर की गई थी।
पूरवशा ने यह स्कॉलरशिप ली। उन्हें कोल्हापुर के महावीर कॉलेज में एडमिशन मिल गया। यहां से मराठी में बीए ऑनर्स कर रही हैं। सेकंड ईयर पूरा भी हो चुका है।
हॉस्टल में एकदम अकेली, एंटरटेनमेंट के लिए टीवी तक नहीं थी
पूरवशा कहतीहैं, हॉस्टल में दो महीने अकेले बिताना काफी मुश्किल था, क्योंकि न कोई बात करने के लिए था और न ही एंटरटेनमेंट का कोई जरिया था। टीवी तक नहीं थी।
इसलिए मैंने किताबें पढ़ना शुरू किया और 60 दिनों में 28 किताबें पढ़ लीं। बोलीं, सिर्फ मेरे लिए हॉस्टल खुला रखा गया और मुझे खाना-पीना सब दिया गया।
दो हफ्ते पहले हॉस्टल को क्वारैंटाइन सेंटर बना दिया गया है और अब वहां पर कोरोना संक्रमित मरीजों को रखा गया है। इसके बाद मेरे कॉलेज की टीचर सरला मेनन मुझे अपने घर ले आईं और बेटी की तरह रख रही हैं।
पूरवशा कहतीहैं, ‘4 जून को मॉरिशस से एक स्पेशल फ्लाइट भारत आने वाली है। यह फ्लाइट मॉरशिस के जो स्टूडेंट्स और दूसरे लोग यहां फंसे हैं, उन्हें लेने आ रही है लेकिन मैंने जाने से इनकार कर दिया।
क्योंकि मैं यहां पूरी तरह से सुरक्षित हूं। घर जैसा फील करती हूं। मेरे मां-पापा भी अब संतुष्ट हैं। इसलिए मैं अभी मॉरशिस जाना नहीं चाहती।’
पूरवशा के मुताबिक, मैं डिग्री पूरी करके ही मॉरिशस जाऊंगी। मैं मराठी सब्जेक्ट की टीचर बनना चाहती हूं। मॉरिशस में बड़ी संख्या में मराठी लोग रहते हैं इसलिए वहां मराठी का स्कोप काफी अच्छा है।
यही नहीं पूरवशा का तोपीजी और पीएचडी के लिए स्कॉलरिशप मिलती हैतो दोबार यहां आकर पढ़ाई करने का मन है।
फिश करी के लिए जाना जाता है मॉरिशस, मैम के घर दो साल बाद खाने को मिली
वे कहती हैं, मेनन मैम के घर में जब से मैं शिफ्ट हुई हूं, तब से बहुत टेस्टी खाना मिल रहा है। हॉस्टल का फूड एकदम सिम्पल होता है। मैम के घर मुझे नॉनवेज खाने को भी मिल रहा है, जो मुझे हॉस्टल में कभी नहीं मिला। मैंने करीब दो साल बाद नॉनवेज खाया है।
मॉरिशस और भारतीय व्यंजन में बहुत बड़ा अंतर है। मॉरिशस फिश करी के लिए बहुत जाना जाता है और मुझे मैम के घर बहुत टेस्टी फिश करी खाने को मिल रही है।
मॉरिशस कुजीन काफी हद तक फ्रेंच कुजीन से मिलती है। वहां ज्यादा मसालेदार खाना नहीं खाया जाता। यही इंडिया में आने के बाद मेरे सामने सबसे बड़ाचैलेंज था। क्योंकि यहां काफी स्पाइसी खाना बनाया जाता है।
इंडियन फूड को अच्छे से खाने में मुझे एक महीने का वक्त लग गया था। अब तो मुझे यहां का वड़ा पाव, गोभी मंचूरियन, पनीर टिक्का, बटर चिकन,मिसल पाव, डोसा और पानी पूरी काफी ज्यादा अच्छी लगती है।
अब इस लॉकडाउन पीरियड में मैं मैम के साथ मिलकर इंडियन फूड बनाना भी सीख रही हूं। इससे मॉरिशस जाकर मुझे जब भी इंडियन फूड की याद आएगी, मैं बना पाऊंगी।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2XiUJIY
दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा खाएं, 8 गिलास पानी पिएं; कोरोना से बचाव के लिए विटामिन-सी, डी को दिनचर्या में शामिल करें https://ift.tt/36N0Uru
यह कोरोनाकाल की पहली गर्मी है। सामान्य तौर पर जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, डिहाइड्रेशन, हीट स्ट्रोक से लेकर डायरिया और पसीने के कारण स्किन में एलर्जी जैसी कई तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं। इस बार कोरोना के कारण इन दिक्कतों के साथ कुछ अलग तरह के कॉम्पलिकेशन भी दिखाई देंगे। हेल्थ एक्सपर्ट्स के सुझाए दिनभर के रूटीन को अपनाकर आप गर्मियों में हेल्दी रह सकते हैं।
एक्सपर्ट्स की राय-
विटामिन सी के लिए नींबू, संतरा आंवला जैसे फलों का सेवन करें
1- दिल्ली के स्वस्थ अस्पताल की डॉक्टर माधवी ठोके का मानना है कि विटामिन सी किसी भी तरह के इंफेक्शन को रोकने और इम्युनिटी बढ़ाने में बहुत मददगार होता है।
2- डॉ. माधवी कहती हैं कि विटामिन सी के लिए नींबू, संतरा, मौसमी, किन्नू, स्ट्रॉबरी, जामुन, आंवला जैसे फलों का नियमित सेवन करें। इसके अलावा विटामिन बी और जिंक का सेवन किसी भी इंफेक्शन को रोक सकता है।
3- धूप से मिलने वाला विटामिन-डी कोरोना से लड़ने में बहुत सहायक है। क्योंकि यह टी-सेल के निर्माण में सहायता करता है।
4- डॉक्टर माधवी बताती हैं कि यही टी-सेल इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत बनाने में बेहद मददगार होती है। जो कोरोना वायरस से लड़ने में फ्रंटलाइन वॉरियर का काम करती है।
क्या करें और क्या न करें?
- धूप हमारे शरीर के लिए अमृत
आयुर्वेद चिकित्सक और बीमारियों पर 10 से ज्यादा किताबों के लेखक डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार धूप हमारे शरीर के लिए अमृत है। धूप लेेने को आयुर्वेद में अताप स्नान कहा गया है।
सामान्य तौर सुबह 7 से 10 बजे के बीच 10-15 मिनट धूप सेंकने से विटामिन-डी का निर्माण शरीर में होने लगता है।
- फ्रिज के ठंडे पानी को अवाइड करें
डॉक्टर मुल्तानी गुनगुना पानी भी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बहुत बढ़िया मानते हैं। उनका कहना है कि यह पाचन और मेटाबॉलिज्म को सही रखता है। इसके अलावा फेफड़ों तथा गले को स्वस्थ रखता है। कोशिश करें कि जब भी प्यास लगे तो कुनकुना पानी ही लें। फ्रिज के ठंडे पानी को अवाइड करें।
- चाय-कॉफी से बचें, नियमित अंतराल पर पानी पिएं
सीके बिरला हॉस्पिटल, नई दिल्ली के इंटरनल मेडिसिन विभाग के कंसल्टेंट डॉ. तुषार तायल के अनुसार डिहाइड्रेशन यानी पानी की कमी। पानी तीन तरह से शरीर से कम होता है।
1. पसीने से।
2. किसी शारीरिक एक्टीविटी के माध्यम से।
3. आपकी सांस से।
इन उपायों को अपनाकर आप खुद को हाइड्रेट रख सकते हैं-
रूटीन ऐसा बनाइए कि बिना प्यास लगे भी पानी पिएं
- डॉ. तुषार कहते हैं कि इससे चक्कर और कमजोरी आती है। नियमित रूप से यह स्थिति रहने से जान जाने का खतरा भी रहता है। चूंकि गर्मी में किसी भी तरह की एक्टिविटी में पसीना निकलता है और हम डिहाइड्रेट महसूस करते हैं। कुछ उपायों को अपना कर आप खुद को हाइड्रेट रख सकते हैं।
- डॉ. तुषार के मुताबिक, यदि आप घर पर भी हैं तब भी दिनभर में आधा लीटर पानी सांस के माध्यम से और आधा लीटर पानी पसीने के जरिएनिकल जाता है। जब भी आपको प्यास लगती है तो इसका मतलब होता है आप 2 फीसदी डीहाइड्रेशन के शिकार तो हो ही चुके होते हैं।
- इसके अलावा रूटीन ऐसा बनाइए कि बिना प्यास लगे भी दिनभर में नियमित अंतराल में पानी पीते रहिए। इससे आपके शरीर से जो पसीना निकल रहा है उसकी लगातार भरपाई होती रहेगी।
खीरा, तरबूज, खरबूज जैसे फलों का सेवन करें
- डॉ. तुषार कहते हैं कि इसी तरह यदि आप वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं तो एक वॉटर बोतल पूरे समय अपने बाजू में रखें। नियमित अंतराल पर पानी पीते रहें। हो सके तो इसके लिए कोई अलॉर्म लगा लें जो आपको पानी पीने के बारे में रिमाइंड करवाता रहे।
- खीरा, तरबूज, खरबूज जैसे फलों का सेवन करें जिनमें काफी मात्रा में वाटर कंटेंट होता है। ज्यादा मात्रा में चाय-कॉफी पीने से बचें। इसकी जगह लस्सी, छाछ, ताजे फलों के जूस को दिनचर्या में शामिल करें।
कम से कम दो बार नहाने की कोशिश करें
- डॉ. तुषार के मुताबिक, ब्रेकफास्ट को किसी भी हालत में अवॉइड न करें। मसालेदार खाने से बचें। कम से कम दो बार नहाने की कोशिश करें।
- बहुत लंबे समय के लिए एसी रूम में बैठने से बचें। एसी के एयर फिल्टर नियमित रूप से साफ करते रहें।
- सुबह अपने कमरे की खिड़कियां जरूर खोलें ताकि क्रॉस वेंटिलेशन की प्रक्रिया हो, ताजी हवा कमरे में आए।
- यदि बाहर जाना हो तो हमेशा एक गिलास पानी पीकर ही बाहर निकलें।
रिसर्च के मुताबिक-
20 यूरोपीय देशों में कोरोना से जिन लोगों की मौत हुई, उनमें विटामिन डी की मात्रा बहुत कम थी
- इसी तरह ब्रिटेन के क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल के डॉक्टर पीटर क्रिश्चिचन के नेतृत्व में ब्रिटेन सहित 20 यूरोपियन देशों में हुई एक रिसर्च में पाया गया है कि कोरोना से जिन लोगों की मौत हुई है, उनके ब्लड में विटामिन डी की मात्रा बहुत कम थी।
- लुसियाना और टेक्सस के रिसर्चर्स ने एक अस्पताल में भर्ती कोरोना के 19 मरीजों पर की गई रिसर्च में पाया है कि इनमें से 11 पेशेंट्स में विटामिन डी की भारी कमी थी।
- इंडोनेशिया में 780 कोरोना पॉजिटिव मरीजों के डॉक्युमेंट्स की जांच गई जिसमें पाया गया कि इनमें से जिन मरीजों की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हुई सभी में विटामिन डी का स्तर सामान्य से बहुत कम था।
- आयरलैंड की रिसर्च टीम ने यूरोपियन देशों की जनसंख्या का एनालिसिस करके पाया कि जिन देशों के लोगों में विटामिन डी का स्तर कम है वहां कोरोना से हुई मौत की दर ज्यादा है।
- इस रिसर्च के आधार पर उन्होंने सरकारों से अपील की है कि लोगों में विटामिन डी का स्तर बढ़ाने के लिए तत्काल काम करें।
आयुष मंत्रालय के सुझाव-
कोरोना से बचाव के लिए योग-प्राणायाम कर बढ़ाए इम्युनिटी
- कोरोना से फाइट के लिए मजबूत इम्युनिटी सिस्टम की जरूरत होती है। जिसके लिए संतुलित आहार बहुत जरूरी होता है। ताकतवर इम्युनिटी से आप किसी भी तरह के बाहरी बैक्टीरिया, वायरस से जबरदस्त तरीके से लड़ सकते हैं, परिवार और खुद को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं।
- इम्युनिटी बढ़ाने के लिए भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने कुछ टिप्स शेयर किए हैं। इसके अनुसार नियमित रूप से आप योग, प्राणायाम करें। इसके लिए रोज कुछ समय निकालना ही चाहिए।
- अपने भोजन में हल्दी-जीरा-धनिया-लहसुन जरूर शामिल करें। विशेष रूप से लहसुन में एलिसिन पाया जाता है, जो इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी है। साथ ही ज्यादा तेल-मसाले वाले खाने से पूरी तरह दूरी रखें।
- किसी अच्छे ब्रॉन्ड का एक चम्मच च्यवनप्राश रोज सुबह या शाम पूरे परिवार सहित जरूर लें। जिन्हें डायबिटीज है, वे शुगर फ्री च्वयनप्राश ले सकते हैं।
- काढ़ा बनाकर दिन में एक दो बार सेवन करें। काढ़ा तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सौंठ और मुनक्का के मिश्रण से तैयार किया जाता है। इसमें गुड की हल्की मात्रा या नीबू का रस मिला सकते हैं।
- कोरोना के खिलाफ इम्युन सिस्टम मजबूत करने के लिए हल्दी मिला गोल्डन दूध बहुत उपयोगी है। इसे दिन में एक या दो बार लिया जा सकता है।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2XiP6KL
पहले हर घंटे 30 से ज्यादा फ्लाइट्स आती-जाती थीं, अब इनकी संख्या 2 ही रह गई, यात्रियों से ज्यादा कर्मचारी नजर आते हैं https://ift.tt/3dj7okl
देश में 25 मई से जब घरेलू उड़ानें फिर से शुरू हुईं, तो मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट के हिस्से 50 फ्लाइट्स आईं। पिछले 5 दिनों से यहां हर दिन 25 फ्लाइट्स उड़ान भरती हैं और इतनी ही लैंड करती हैं। हर दिन 700 से ज्यादा फ्लाइट्स के मूवमेंट वाले इस एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट्स की यह संख्या बहुत ही कम है।
जो भीड़ और भागदौड़ यहां पहले नजर आती थी, अब वैसा नजारा बिल्कुल दिखाई नहीं देता। औसतन हर घंटे 2 ही फ्लाइट होने के कारण एयरपोर्ट पर सन्नाटा पसरा होता है। हाल यह है कि कभी-कभी तो यात्रियों से ज्यादा एयरपोर्ट कर्मचारी नजर आ जाते हैं।
फेस शील्ड, मास्क या पीपीई किट पहने ये कर्मचारी एयरपोर्ट पर कोरोना से बचाव के लिए सभी नियमों का खुद तो पालन करते ही हैं, साथ ही यात्रियों से भी करवाते हैं। यहां कोरोना से बचाव के लिए कुछ नए तरीके भी इजाद किए गए हैं। ऐमें में हम हर दूसरे मिनट में एक फ्लाइट के मूवमेंट वाले देश के इस दूसरे सबसे व्यस्त एयरपोर्ट की कुछ लाइव तस्वीरें आपके लिए लाए हैं..
मुंबई एयरपोर्ट के अंदर लगे बैरिकेड, स्टील की रेलिंग, सीआईएसएफ के सुरक्षा कर्मियों के खड़े होने की जगह लगातार सैनेटाइज होती है। एयरपोर्ट की जिस सड़क से गाड़ियां गुजर रही हैं, उसे भी सैनेटाइज किया जा रहा है।
यहां एयरपोर्ट पर जहां यात्रियों को अपना बोर्डिंग पास और पहचान पत्र दिखाना होता है, वहां एक कारपेट बिछाया गया है। इस कारपेट पर सैनेटाइज किया जाने वाला लिक्विड है, जिससे कोई भी यात्री कारपेट पर कदम रखता है, तो उसके जूतों का निचला हिस्सा सैनेटाइज हो जाता है। इससे एयरपोर्ट के बाकी फर्श को यात्री के जूतों से फैलने वाले कोरोना से बचाया जा सकता है।
गेट पर ही एक पारदर्शी कांच का कैबिनबनाया गया है। यहां यात्री कांच के दूसरी ओर से पहचान पत्र दिखाते हैं।यहां पैसेंजर के बोर्डिंग पास की स्कैनिंग करने वाली छोटी सी एक मशीन रखी गई है। इन दोनों प्रक्रियाओं में पैसेंजर और एयरपोर्ट कर्मचारी एक-दूसरे को टच नहीं करते हैं।
एयरपोर्ट की मुख्य लॉबी में पहले की तरह ही एक बड़ी सी स्क्रीन पर फ्लाइट्स की जानकारी दी जाती है। इसके अलावा इन्फॉर्मेशन काउंटर पर भी एयरपोर्ट कर्मचारी पहले की तरह ही जानकारी देते रहते हैं। फर्क बस इतना है कि यहां लोग एक-दूजे से पर्याप्त दूरी बनाकर खड़े होते हैं।
कम फ्लाइट्स होने के कारण भीड़ कम है। लोग सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान तो रखते हैं लेकिन कहीं-कहीं लोग झुंड में खड़े भी नजर आते हैं। ऐसा होने पर एयरपोर्ट कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी उन्हें दूर-दूर खड़े रहने या चलने की हिदायत देते नजर आते हैं।
मुंबई एयरपोर्ट का फूड कोर्ट कई तरह की वैरायटी के खाने-पीने की चीजों के लिए काफी मशहूर है। यहां आम दिनों में 3500 से ज्यादा पैसेंजर आते हैं। लेकिन फिलहाल महज 50 प्लाइट की मूवमेंट होने के कारण 300-350 यात्री ही फूड कोर्ट आ रहे हैं।
यहां के रिजर्वड लाउंज में पैसेंजर के बैठने की व्यवस्था बहुत दूर-दूर की गई है। दो लक्जरी सोफानुमा कुर्सियां साथ में भी हैं, लेकिन इनमें एक ही शख्स बैठ सकता है। जीवीके लाउंज की क्षमता 350 पैसेंजर के बैठने की है। लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग मैंटेन करने के लिए इसे 200 कर दिया गया है।
एयरपोर्ट की मुख्य लॉबी में ही गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों, सीनियर सिटिजन्स को फ्लाइट तक छोड़ने और वहां से लाने के लिए बैटरी से चलने वाली छोटी कारें लाइन से खड़ी नजर आती हैं।
एयरपोर्ट पर उतरने वाले जिन यात्रियों के पास घर जाने का खुद का साधन नहीं है। उन्हें बहुत परेशानियां का सामना करना पड़ रहा है। लॉकडाउन की वजह से एयरपोर्ट के बाहर न प्रीपेड टैक्सी मिल रही है, न ही ओला-ऊबर की कारें चल रही हैं। दूर-दूर तक ऑटो-रिक्शा भी नहीं दिखाई दे रहे।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/36P852v
सिगरेट-तंबाकू से कमजोर न करें अपने फेफड़े, इस बुरी आदत को छोड़ने के लिए सबसे अच्छा मौका है लॉकडाउन https://ift.tt/36Ml05o
आज वर्ल्ड नो टोबैको डे है। इस साल की थीम है युवाओं को तम्बाकू और निकोटीन के दूर रखने के साथ उन झांसों से भी बचाना, जिससेकम्पनियां उन्हें धूम्रपान करने के लिए आकर्षित करती है। तम्बाकू से कमजोर हुए फेफड़े कोरोनावायरस को संक्रमण का दायरा बढ़ाने में मुफीद साबित हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) और शोधकर्ताओं ने भी चेतावनी दी है।
एक सर्वे कहता है, 27 फीसदी टीनएजर्स ई-सिगरेट पीते हैं। उनका मानना है कि ये स्मोकिंग नहीं सिर्फ फ्लेवर है और सेहत के लिए खतरनाक नहीं। इस पर मेदांता की विशेषज्ञ डॉ. सुशीला का कहना है, यह एक गलतफहमी है, वैपिंग भी सिगरेट पीने जितना खतरनाक है।
वर्ल्ड नो टोबैको डे पर जानिए कोरोना और तम्बाकू का कनेक्शन, इस मुद्देपर डब्ल्यूएचओ और मेदांता हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. सुशीला कटारिया की सलाह।
लॉकडाउन तम्बाकू छोड़ने का सबसे अच्छा समय
डॉ. कटारिया कहती हैं, तम्बाकू छोड़ने के लिए लॉकडाउन सबसे अच्छा समय है। तम्बाकू छोड़ने के लिए कम से कम 41 दिन का समय चाहिए होता है। अगर तीन महीने तक कोई तम्बाकू नहीं लेता या स्मोकिंग नहीं करता तो वापस इसे शुरू करने की आशंका 10 फीसदी से भी कम रह जाती है। आप लॉकडाउन के दौरान दुनिया के सबसे बड़े एडिक्शन से पीछा छुड़ा सकते हैं।
टीनएजर्स में सिगरेट से ज्यादा आसान ई-सिगरेट की लत पड़ना
कुछ लोग कहते हैं हम तो सिगरेट नहीं ई-सिगरेट पी रहे हैं और इसका बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। इस पर डॉ. सुशीला कटारिया का कहना है कि ई-सिगरेट में खासतौर पर एक लिक्विड होता है, जिसमें अक्सर निकोटिन के साथ दूसरे फ्लेवर होते हैं। हमे इसकी लत लग जाती है और फेफड़े भी डैमेज होते हैं।
इन दिनों यह कई फ्लेवर में उपलब्ध हैं ऐसे में बच्चों में इसकी लत लगना सिगरेट से भी ज्यादा आसान है। ई-सिगरेट की आदत पड़ने के बाद सिगरेट और तम्बाकू की लत पड़ना काफी आसान हो जाता है, ऐसा कई शोध में भी सामने आया है।
4 सवालों में डब्ल्यूएचओ की नसीहत : तम्बाकू हर रूप में है खतरनाक और संक्रमण का खतरा भी बढ़ाता है
Q-1) मैं स्मोकिंग करता हूं, क्या मुझे कोरोना का गंभीर संक्रमण हो सकता है?
डब्ल्यूएचओ : स्मोकिंग और किसी भी रूप में तम्बाकू लेने पर सीधा असर फेफड़े के काम करने की क्षमता पर पड़ता है और सांस लेने से जुड़ी बीमारियां बढ़ती हैं। संक्रमण होने पर कोरोना सबसे पहले फेफड़े पर अटैक करता है, इसलिए इसका मजबूत होना बेहद जरूरी है। वायरस फेफड़े की कार्यक्षमता को घटाता है। अब तक कि रिसर्च के मुताबिक धूम्रपान करने वाले लोगों में वायरस का संक्रमण और मौत दोनों का खतरा ज्यादा है।
Q-2) मैं स्मोकिंग नहीं करता सिर्फ तम्बाकू लेता हूं तो संक्रमण का कितना खतरा है?
डब्ल्यूएचओ : यह आदत आपके और दूसरे, दोनों के लिए खतरनाक है। तम्बाकू लेने के दौरान हाथ मुंह को छूता है। यह भी संक्रमण का जरिया है और कोरोना हाथ के जरिए मुंह तक पहुंच सकता है। या हाथों में मौजूद कोरोना तम्बाकू में जाकर मुंह तक पहुंच सकता है। तम्बाकू चबाने के दौरान मुंह में अतिरिक्त लार बनती है, ऐसे में जब इंसान थूकता है तो संक्रमण दूसरों तक पहुंच सकता है। इतना ही नहीं, इससे मुंह, जीभ, होंठ और जबड़ों का कैंसर भी हो सकता है।
Q-3) स्मोकिंग के अलग-अलग तरीकों से कैसे कोविड-19 का खतरा कितना बढ़ता है?
डब्ल्यूएचओ : सिगरेट, सिगार, बीड़ी, वाटरपाइप और हुक्का पीने वाले कोविड-19 का रिस्क ज्यादा है। सिगरेट पीने के दौरान हाथ और होंठ का इस्तेमाल होता है और संक्रमण का खतरा रहता है। एक ही हुक्का को कई लोग इस्तेमाल करते हैं जो कोरोना का संक्रमण सीधेतौर पर एक से दूसरे इंसान में पहुंचा जा सकता है।
Q-4) स्मोकिंग या धूम्रपान छोड़ने पर शरीर में कितना बदलाव आता है?
डब्ल्यूएचओ : इससे छोड़ने के 20 मिनट के अंदर बढ़ी हुई हृदय की धड़कन और ब्लड प्रेशर सामान्य होने लगता है। 12 मिनटबाद शरीर के रक्त में मौजूद कार्बन मोनो ऑक्साइड का स्तर घटने लगता है। 2 से 12 हफ्तों के अंदर फेफड़ों के काम करने की हालत में सुधार होता है। 1 से 9 माह के अंदर खांसी और सांस लेने में होने वाली तकलीफ कम हो जाती है।
कितना दम घोट रहा तम्बाकू
तम्बाकू से दुनियाभर में हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है। इनमें 70 लाख मौत सीधेतौर पर तम्बाकू लेने वालों की हो रही हैं और दुनिया छोड़ने वाले करीब 12 लाख ऐसे लोग हैं जो धूम्रपान करने वालों के आसपास होने के कारण प्रभावित हुए।
बीमार और स्वस्थ फेफड़ों के बीच फर्क बताता यह वीडियो आपको अलर्ट रखने के लिए काफी है
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3dkeQfl
चीनी कम्पनी सिनोवेट ने कहा- हम 99% सफल होंगे, लेकिन ट्रायल के लिए हमारे यहां अब मरीज नहीं मिले रहे https://ift.tt/2TUVxBp
चीन मेंबायोटेक कम्पनी सिनोवेट ने कोरोनावायरस की वैक्सीन बनाने की दिशा में काफी आगे बढ़ चुकीहै, लेकिन उसे ट्रायल के लिए मरीज नहीं मिल रहे हैं। कम्पनी का दावा है कि उसका वैक्सीन99 फीसदी तकअसरदार साबित होगा। बायोटेक कम्पनी सिनोवेट का कहना है कि हमने वैक्सीन के 100 मिलियन डोज तैयार करने का लक्ष्य रखा है।
वैक्सीन का नाम रखा कोरोनावेक
एकेडमिक जर्नल साइंस में प्रकाशित शोध के मुताबिक, कम्पनी ने वैक्सीन का नाम "कोरोनावेक" रखा है। ट्रायल में पाया गया है कियह बंदर को कोरोनावायरस से सुरक्षित रखती है। शोधकर्ता का कहना है कि अगले दौर के ट्रायल के लिए चीन में कोविड-19 के मरीजों की संख्या काकम होना सबसे बड़ी समस्या है।
तीसरे दौर के ट्रायल के लिए ब्रिटेन से बातचीत जारी
कम्पनी अपने दूसरे दौर का ट्रायल कर रही है जिसमें 1 हजार वॉलंटियरोंको शामिल किया गया है। वैक्सीन का तीसरा ट्रायल ब्रिटेन में किया जाना है और इसके लिए बातचीत चल रही है। शोधकर्ता लुओ बायशन का कहना है कि मैं 99 फीसदी तक निश्चिंत हूं कि ये वैक्सीन कारगर साबित होगी।
हाई रिस्क जोन वालों को प्राथमिकता
कम्पनी के सीनियर डायरेक्टर हेलेन येंग का कहना है कि हम तीसरे दौर के ट्रायल के लिए ब्रिटेन और यूरोपीय देश से बातचीत कर रहे हैं। अभी यह शुरुआती दौर में है। वैक्सीन के प्रोडक्शन से पहले रिसर्च पूरी होना बेहद जरूरी है। इसके ट्रायल में सफल होने पर अप्रूवल के बाद सबसे पहले उन्हें दी जाएगी, जो हाई रिस्क जोन में हैं।
इधर, ऑक्सफोर्ड ब्रिटेन को पहले वैक्सीन देने की तैयारी में
दुनियाभर के वैज्ञानिक वैक्सीन तैयार करने की रेस में हैं। वैक्सीन तैयार होने के बाद भी सभी देशों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है, बड़े स्तर पर इसे तैयार करना और उपलब्ध कराना। देश अपनी ही जनसंख्या में कैसे वैक्सीन देने की प्राथमिकता तय करेंगे। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर वैक्सीन तैयार कर रही ड्रग कम्पनी एस्ट्राजेने का का कहना है कि ब्रिटेन पहला देश होगा, जिसे सबसे पहले हमारी वैक्सीन मिलेगी।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2McblLN
वैज्ञानिकों का नया दावा- वुहान वेट मार्केट से नहीं फैला कोरोना, चीनी चमगादड़ों में पहले से मौजूद था वायरस https://ift.tt/3gJZQtp
कोरोना महामारी के चार महीने के बादचीनी वैज्ञानिकों नेउस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है, जिसमें दावा किया गया था कि कोरोनावायरस वुहान के वेट मार्केटसे फैला है। यहां के वैज्ञानिकों का कहना है कि वेट मार्केट का रोल एक सुपर स्प्रेडर की तरह है, न कि किसीसोर्स की तरह। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन की इसे लेकर अभी कोई टिप्पणी नहीं आई है।
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के विशेषज्ञों ने रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा, कोरोना के संक्रमण का पहला मामला वुहान की बाजार से नहीं आया है। महामारी की शुरुआत में शोधकर्ताओं की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कोरोना वुहान के हुनान स्थित सी-फूड मार्केट से फैला। इसे अब चीनी वैज्ञानिकों ने इसे फिरनकार दिया है।
डीएनए सबूतों में चमगादड़-पैंगोलिन पर शक
वैज्ञानिकों ने डीएनए सबूतों के आधार पर दावा किया है कि नोवल कोरोनावायरस Sars-CoV2 चीनी चमगादड़ों में पहले से मौजूद था। इंसानों में इसके आने में किसी बीच के वाहक जानवर की भूमिका हो सकती है और इसमें पैंगोलिन पर सबसे ज्यादा शक है।
चीन के सीडीसी ने भी दिया जवाब
वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के डायरेक्टर गाओ फू का कहना है कि वुहान के पशु बाजार से दोबारा सैम्पल लेने के बाद रिपोर्ट निगेटिव आई है। यह बताता है कि यहां के दुकानदार संक्रमित नहीं हुए।
1 जनवरी को मार्केट बंद करा दी गई थी
वुहान प्रशासन ने डब्ल्यूएचओ को 31 दिसम्बर को निमोनिया की तरह दिखने वाले अलग किस्म के लक्षणों के बारे में बताया था, जो बाद में कोरोनावायरस के लक्षण के तौर पर पहचाना गया। शुरुआत में वुहान की मार्केट से कोरोना के 41 मामलों को जोड़ा गया। इसके बाद 1 जनवरी से मार्केट को बंद करा दिया गया था।
सार्स में भी ऐसे ही बाजार से फैला था संक्रमण
अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता प्रो. कोलिन कार्लसन के मुताबिक, 2002 और 2003 में आई सार्स महामारी के समय भी गुआंगडॉन्ग के एक ऐसे ही बाजार से संक्रमण फैला था। लेकिन, जांच के दौरान वुहान के बाजार में एक भी जानवर कोरोना पॉजिटिव नहीं मिला। अगर वो संक्रमित नहीं हुए तो इसका मतलब है कि उन्हें कोई ऐसा सम्पर्क नहीं मिला जिससे मामले फैलें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी आशंका जताई थी
हाल ही में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने कहा था कि यह साफ है कि कोरोनावायरस के संक्रमण में वुहान की मीट मार्केट ने भूमिका रही है, लेकिन इस मामले में अभी और रिसर्च की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि या तो वुहान के मार्केट से यह वायरस विकसित हुआ या फिर यहां से इसका फैलाव हुआ है। चीन के अधिकारियों ने जनवरी में इस मार्केट को बंद कर दिया था, इसके साथ ही वन्यजीवों के व्यापार में अस्थायी प्रतिबंध भी लगा दिया था।
पहला मामला वुहान की झींगा बेचने वाली महिला में सामने आया था
मार्च में मीडिया रिपोर्ट में कोविड-19 की पहली संक्रमित महिला के स्वस्थ होने का मामला सामने आया है। 57 वर्षीय महिला चीन के वुहान में झींगेबेचती थी। वेई गुझियान को पेशेंट जीरो बताया गया था। पेशेंट जीरो वह मरीज होता है, जिसमें सबसे पहले किसी बीमारी के लक्षण देखे जाते हैं। खास बात यह है कि करीब एक महीने चले इलाज के बाद यह महिला पूरी तरह से ठीक हो चुकी थी।
वुहान वेट मार्केट में10 दिसंबर की घटना
द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि यह महिला उस समय संक्रमित हुई, जब वह वुहान के हुआन सी-फूड मार्केट में 10 दिसंबर को झींगे बेच रही थीं। इसी दौरान उसने एक पब्लिक वॉशरूमका इस्तेमाल किया थाऔर इसके बाद उसे बुरी तरह से सर्दी-जुकाम ने जकड़ लिया।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3gEhvT6
विशेषज्ञों की राय: बारिश में बढ़ सकता है कोरोना संक्रमण, नमी में तीव्र होते हैं वायरस https://ift.tt/3debgmO
अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी एपलाइड फिजिक्स लेबोरेटरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक जेर्ड इवांस कहते हैं कि अभी यह पता नहीं कि सीमित बारिश का असर वायरस पर क्या होगा। हालांकि, अधिकांश विशेषज्ञ यह मानते हैं कि बारिश में नमी के कारण वायरस तीव्र हो जाता है, जिससे बारिश में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
हालांकि, वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के ग्लोबल हेल्थ, मेडिसिन और एपिडिमियोलॉजी के प्रोफेसर जेर्ड बेटेन कहते हैं कि बारिश कोरोनावायरस को डायल्यूट (घोलकर कमजोर कर देना) कर सकती है। जिस तरह धूल बारिश के पानी में घुलकर बह जाती है, ठीक वैसे ही यह कोरोनावायरस भी बह सकता है। वहीं कई विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश साबुन के पानी की तरह सतह को डिसइंफेक्ट करने में सक्षम नहीं है।
बारिश और कोरोना से जुड़े दो अहम सवाल
क्या बारिश से वायरस साफ नहीं हो सकते हैं?
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के मुताबिक, ऐसे मामले भी आए हैं जिनमें 17 दिनों के बाद भी सतह पर कोरोना वायरस पाया गया है। ऐसे में फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता है कि बारिश से किसी सतह, मैदान या कुर्सी पर लगा वायरस साफ हो जाएगा। इसलिए बारिश में अतिरिक्त सावधानी जरूरी है।
क्या बारिश से कोरोनावायरस धीमा भी नहीं पड़ेगा?
यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर की एपिडिमियोलॉजी डिपार्टमेंट की संस्थापक और वैज्ञानिक जेनिफर होर्ने के मुताबिक, बारिश का पानी वायरस की सफाई नहीं कर सकता है। इससे वायरस फैलने-पनपने की रफ्तार भी धीमी नहीं होगी। यह उसी तरह है कि हाथ पानी से धोएंगे तो वायरस नहीं मरेगा, साबुन लगाना पड़ेगा।
भारतीय विशेषज्ञ भी बोले- वायरस की सक्रियता बढ़ेगी
ये तीन तथ्य जो बताते हैं कि बारिश में सावधानी बढ़ानी पड़ेगी
- वायरस देर तक रहता है: एम्स के कम्यूनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय का कहना है कि बारिश और कोरोना पर अध्ययन नहीं हुआ है। लेकिन, वायरस की सक्रियता में कमी नहीं बल्कि तीव्रता और बढ़ेगी। बारिश में तापमान और आद्रता किसी भी वायरस के फैलने और अधिक देर तक रहने में मददगार होती है।
- जहां बारिश वहां भी मामले आए: आईसीएमआर की ओर से कोविड-19 के लिए बनाई गई रिसर्च और ऑपरेशन टीम के सदस्य को-एपिडेमोलॉजिस्ट प्रो.डॉ.नरेंद्र अरोड़ा कहते हैं कि बारिश में कोरोना कम होगा इसकी संभावना नहीं है। इंडोनेशिया और सिंगापुर में पूरे वर्ष बारिश होती है, लेकिन वहां लगातार मामले आ रहे हैं।
- अस्पताल पर बोझ बढ़ेगा: राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के डॉ.एसी धारीवाल कहते हैं कि बारिश के मौसम में डेंगू, चिकनगुनिया, सामान्य फ्लू वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ेगी, यह एक अलग परेशानी है। ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती होंगे तो संक्रमण का खतरा भी ज्यादा होगा।
(इनपुट: पवन कुमार)
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2ArQSQQ
What is NHS Medical? A Comprehensive Guide
The National Health Service (NHS) is a cornerstone of the United Kingdom’s healthcare system, providing a wide range of medical services to...