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Wednesday, May 27, 2020

यूपी के गांवों में एक व्यक्ति पर 14 दिन के क्वारैंटाइन का खर्च 3 हजार रुपए, जानिए छह राज्यों में कितना खर्च हो रहा https://ift.tt/3guoPRk

लॉकडाउन के बाद जैसेही मजदूरों ने अपने गांवों की ओर पलायन शुरू किया वैसे हीअलग-अलग राज्यों ने लौट रहे इन प्रवासियों को 14 दिन तक क्वारैंटाइन किए जाने की व्यवस्था करना भी शुरू कर दी थी। गांवों और शहरों के सरकारी स्कूलों को क्वारैंटाइन सेंटरों में तब्दील किया जाने लगा था। कहीं-कहीं होटलों में भी लोगों को आइसोलेट किया जाने लगा। इस बंदोबस्त पर सबसे ज्यादा प्रवासियों के लौटने वाले 6 राज्यों में प्रति व्यक्ति कितना खर्च हो रहा है, इसी पर एक रिपोर्ट...

उत्तर प्रदेश : गांव में एक व्यक्ति पर 14 दिन क्वारैंटाइन का खर्च 3 हजार रुपए

प्रयागराज के कालिंदीपुरम एडीए कॉलोनी में एक क्वारैंटाइन सेंटर बनाया गया है। यहां फिलहाल 188 लोग हैं। नोडल ऑफिसर डॉ. आनंद सिंह के मुताबिक तो यहां खाने का मैन्यू हर दिन अलग होता है। रोज फल भी बांटे जाते हैं लेकिन यहां के लोगों से बात करने पर पता चलता है कि खाना ऐसा है कि उसे निगलना भी मुश्किल है।

यहां प्रशासन की ओर से एक दिन के खाने-पीने के लिए हर व्यक्ति के लिए 70 रुपए मिलते हैं। लेकिन यहां ज्यादातर लोग अपने घरों से ही खाना बुलवाते हैं। खाने-पीने के लिए खर्च का तो पता चलता है लेकिन पंखे, बेड और बाकी खर्च तय नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक एक व्यक्ति के लिए 14 दिन का क्वारैंटाइन खर्च यहां करीब 3 हजार रुपए आ रहा है-

  • रोज दोनों समय के खाने पर 70 रु
  • गद्दे का 15 दिन का किराया 300 रु
  • घर लौटते वक्त राशन किट 1200 रु

जो भी प्रवासी उत्तरप्रदेश लौटे हैं, क्वारैंटाइन सेंटर में इनकी थर्मल स्कैनिंग के बाद जो स्वस्थ दिखाई देते हैं, उन्हें राशन के पैकेट देकर होम क्वारैंटाइन कर दिया जाता है। जिनमें लक्षण दिखायी देते हैं, उन्हें क्वारैंटाइन सेंटर में रखा जाता है। होम क्वारैंटाइन रहने वाले मजदूरों को 1000 रुपए का भरण पोषण भत्ता भी दिया जा रहा है।

22 मई तक के आंकड़ों के मुताबिक, बस/ट्रेन से 20 लाख से ज्यादा प्रवासी कामगार/श्रमिक उत्तर प्रदेश में लौटे हैं।

बिहार : क्वारैंटाइन सेंटरों में 21 दिन पूरे होने के बाद हजार रुपए दिए जा रहे

बिहार में ब्लॉक स्तरीय क्वारैंटाइन सेंटरों की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। इनमें 7.5 लाख प्रवासी रह रहे हैं। जैसे-जैसे प्रवासी आ रहे हैं, क्वारैंटाइन सेंटर की संख्या बढ़ रही है। प्रशासन के मुताबिक, दो वक्त के भोजन और चाय-नाश्ते पर एक व्यक्ति पर रोजाना 280 रुपए खर्च हो रहे हैं।

इसके अलावा प्रति व्यक्ति थाली, कटोरा, ग्लास, बेडशीट, तकिया, लूंगी, धोती, गंजी, गमछा, साड़ी, साया, ब्लाउज, सैनेटरी नेपकीन, शर्ट-पैन्ट और फ्रॉक-पैंट पर 600 रुपए और बाल्टी, मग, साबुन, शैम्पू पाउच, केस तेल, कंघी, छोटा एनक, टूथ ब्रश, टूथ पेस्ट, मास्क, सेनेटाइजर, मच्छरदानी और दरी जैसी चीजों पर 400 रुपए खर्च हो रहे हैं।

इस तरह से एक व्यक्ति पर 21 दिन के 1000 रुपए जरूरी सामान पर और 5800 रुपए खान-पान पर खर्च हो रहे हैं। यानी 21 दिन के क्वारैंटाइन का खर्च 6800 के करीब हो रहा है। इसके अलावा बिहार सरकार क्वारैंटाइन में 21 दिन पूरे करने वालों को घर लौटते वक्त 1000 रुपए भी दिये जा रहे हैं। सरकार के मुताबिक, अब तक 19 लाख लोगों को यह राशि दी जा चुकी है।

मई के पहले हफ्ते में बिहार के कटिहार जिले के एक क्वारैंटाइन सेंटर से 20 प्रवासियों के भाग जाने की खबर सामने आई थी। सेंटर में अच्छा खाना नहीं मिलने के कारण ये लोग भाग गए थे।

झारखंड: लोगों की शिकायत की खाना ठीक नहीं मिल रहा

झारखंड में 7,042 क्वारैंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। यहां 1.13 लाख लोग क्वारैंटाइन हैं। स्वास्थ्य विभाग के पास प्रतिदिन खर्च का हिसाब तो नहीं है लेकिन इन सेंटरों में देखरेख करने वालों का कहना है कि प्रति व्यक्ति 60 रुपए से ज्यादा खर्च नहीं हो रहा है, फिर सरकार चाहे जो बताए।

प्रशासन के मुताबिक, इन सेंटरों में रहने वाले लोगों को दो वक्त का खाना और सुबह-शाम चाय-नाश्ता मुहैया कराया जाता है। साथ ही नहाने के लिए साबुन व तेल भी दिया जाता है। हालांकि राज्य के कई क्वारैंटाइन सेंटर में रह रहे लोगों ने यह शिकायत की है कि उन्हें खाने की दिक्कत हो रही है, चाय-नाश्ता भी नहीं मिल रहा है।

इसी हफ्ते हजारीबाग के क्वारैंटाइन सेंटर में मजदूरों ने खाना मांगा तो बीडीओ ने सभी को घर भेज दिया था, सेंटर पर ताला लगा दिया गया था। इस केन्द्र में 27 मजदूर क्वारैंटाइन थे।

छत्तीसगढ़ : एक व्यक्ति के खाने-पीने पर प्रतिदिन 60 रुपए खर्च

प्रदेश के 18,460 क्वारैंटाइन सेंटरों में 1.22 लाख प्रवासियों को रखा गया है। अंबिकापुर जिला प्रशासन के अधिकारी बताते हैं कि रोज प्रति व्यक्ति 60 रुपए खर्च होते हैं। इसमें दो वक्त दाल-चावल व सब्जी दी जाती है। उनको नाश्ता नहीं दिया जाता है। हालांकि अलग-अलग जिलों सुविधा अलग-अलग हैं।

सरकार के निर्देश पर इन क्वारैंटाइन सेंटरों में बेड, शौचालय और ग्रामीण इलाकों में बनाए गए केंद्रों में दरी की व्यवस्था की गई है।

राजस्थान : रोजाना खर्च की सीमा तय

राज्य सरकार ने क्वारैंटाइन सेंटर में रखे गए एक संदिग्ध रोगी पर रोजाना होने वाले खर्च का अनुमान 2440 रुपए लगाया है। इसमें खाने और नाश्ते सहित पीने के पानी की राशि ही 600 रुपए है।क्लिनिंग एंड डिसइन्फेक्शन की सुविधाएं जिनमें मास्क और सैनेटाइजर्स शामिल हैं, उन पर हर दिन 550 रुपए खर्च हो रहे हैं। बेड शीट, गार्ड, यहां का स्टॉफ और थर्मल स्क्रिनिंग के लिए आने वाले हेल्थ वर्कस की पीपीई किट समेत सभी खर्च की राशि तय कर दी गई है। इसमें उस जगह का किराया या शुल्क शामिल नहीं है जहां संदिग्ध को रखा गया है।

राजस्थान सरकार का प्रति व्यक्ति एक दिन का क्वारैंटाइन खर्च देखा जाए तो एक व्यक्ति के 14 दिन के क्वारैंटाइन पर यहां करीब 34 हजार रुपए खर्च आ रहा है।

असम : 7 दिन क्वारैंटाइन सेंटर में और 7 दिन होम क्वारैंटाइन में बिताने होते हैं

असम में बाहर से लौटने वाले प्रवासियों के 14 दिन के क्वारैंटाइन पर प्रति व्यक्ति 20,000 खर्च हो रहे हैं। इसमें 7 दिन इन लोगों को क्वारैंटाइन सेंटर में रखा जाता है, जहां खाने-चाय-नाश्ते पर हर दिन 500 रुपए और होटल का एक दिन का किराया 2000 रुपए सरकार की ओर से उठाया जा रहा है।

इस तरह से क्वारैंटाइन सेंटरों में 7 दिन का एक व्यक्ति का खर्च करीब 17500 आ रहा है। इसके बाद अगले 7 दिन इन लोगों को घर में क्वारैंटाइन रहने को कहा जाता है। इसके लिए भी सरकार इन्हें 2000 रुपए दे रही है।

लॉकडाउन के पहले फेज में ही असम सरकार ने बाहर से लौटने वालों को क्वारैंटाइन करने की तैयारी शुरू कर दी थी। ऐसा ही एक क्वारैंटाइन सेंटर गुवाहाटी के सारूसजई स्टेडियम में बनाया गया था। यहां 1000 बेड की क्वारैंटाइन सुविधा थी।

(यूपी से रवि श्रीवास्तव, बिहार से विवेक कुमार, राजस्थान से विष्णु, छत्तीसगढ़ से मोहनीश श्रीवास्तव, झारखंड से गुप्तेश्वर और ओमप्रताप की रिपोर्ट)



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राज्य सरकारों के क्वारैंटाइन सेंटरों में सुविधाओं को लेकर अपने-अपने दावे हैं लेकिन पिछले 2 महीने में लगभग सभी राज्यों में इन सेंटरों से प्रवासियों के भागने की खबरें आईं हैं। सभी में कारण एक ही रहा है- सेंटरों में रहने और खाने की व्यवस्थाएं ठीक नहीं है।


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