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Thursday, May 28, 2020

मुजफ्फरपुर में दूध की आस में तड़पकर मरा मासूम, घर लौटते मजदूर की ट्रेन में मौत के बाद 70 स्टेशनों तक किसी ने नहीं ली सुध https://ift.tt/2M6L81m

कोरोनात्रासदी ने लोगों की जिदंगी को बदल कर रख दिया है। शारीरिक दूरी के साथ, सामाजिक दूरियां भी बढ़ती जा रहीं हैं। मानवता अब एक शब्दमात्र रह गया है। देश के दो बड़े राज्यों से आईं ये चार दर्दनाक कहानियां इस बात की तस्दीक हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर मेंएक मजदूर दूध के लिए स्टेशन पर भटकता रहा और साढ़े चार साल का बेटा तड़प-तड़पकर चल बसा। वहीं, श्रमिक स्पेशल ट्रेन से रांची लौट रहे एक मजदूर की बिलासपुर में मौत हो गई।ट्रेन बिलासपुर से हटिया के बीच 70 स्टेशन क्रॉस कर गई, मगर किसी ने न ट्रेन रोकी और ना ही प्रशासन को सूचित किया।

रांची: श्रमिक स्पेशल में मजदूर की मौत, ट्रेन 70 स्टेशनों से गुजरी, न किसी ने ट्रेन रोकी और न ही सुध ली

बुधवार सुबह करीब 10:30 बजे गोवा के करमाली से जब श्रमिक स्पेशल ट्रेन हटिया पहुंची तो पता चला कि एस-15 में सफर कर रहे एक 19 वर्षीय अशोक गोप की मौत हो चुकी है। हैरानी इस बात की है कि युवक की तबीयत मंगलवार रात बिलासपुर के आसपास बिगड़ी थी। देर रात करीब 1 बजे उसकी मौत हुई। ट्रेन बिलासपुर से हटिया के बीच 70 स्टेशन क्रॉस कर गई, मगर किसी ने न ट्रेन रोकी और ना ही प्रशासन को सूचित किया।

गुमला के सिसई का निवासी अशोक गोवा के मडगांव में होटल में काम करता था।चचेरी बहन देवंती के साथ वह झारखंड लौट रहा था। देवंती के मुताबिक सोमवार शाम जब ट्रेन में चढ़े तो अशोक ठीक था। मंगलवार रात 11 बजे खाना खाने के बाद तबीयत बिगड़ी। उलटी हुई और वह बेहोश हो गया। देवंती को समझ में नहीं आया कि चलती ट्रेन में किससे मदद मांगे। कुछ लोगों से मदद मांगी भी तो उन्होंने अनसुना कर दिया।

अशोक की मौत के कारण का पता पोस्टमार्टम के बाद ही चल पाएगा और पोस्टमार्टम गुरुवार को कोरोनावायरस की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही होगा।पिता विश्राम गोप ने कहा कि बेटा रोजगार के लिए गोवा गया था। दो महीने से बैठा था। होटल रहने-खाने को देता था, मगर मन नहीं लग रहा था। मुझसे बोला था-घर लौट रहा हूं...अब कभी नहीं आएगा। बुधवार को रिम्स में बेटे का शव देख पिता फूट-फूट कर रो पड़े।

मुजफ्फरपुर: पिता दूध के लिए भटकता रहा, बेटा तड़पकर चल बसा
घर लौटते मजदूरों, उनके बच्चों की मौतों के वाकये बदस्तूर जारी हैं। ऐसी 6 घटनाएं और सामने आई हैं। पहली घटना बिहार के मुजफ्फरपुर में हुई, जहां मकसूद आलम नाम का एक मजदूर दूध के लिए स्टेशन पर भटकता रहा और साढ़े चार साल का बेटा तड़प-तड़पकर चल बसा। मकसूद श्रमिक स्पेशल ट्रेन में दिल्ली से परिवार समेत घर लाैट रहा था। बेटा रास्ते में भीषण गर्मी की वजह से बीमार पड़ गया। मुजफ्फरपुर पहुंचते-पहुंचते हालत काफी बिगड़ गई। इससे पहले कि उसे दूध मिल पाता, वह चल बसा। मकसूद का परिवार दिल्ली में अपना सारा सामान बेचकर सीतामढ़ी लौट रहा था।

गुमला: मजदूर की नेपाल में मौत, शव गांव नहीं आ पाया तो परिवार ने मिट्‌टी का पुतला बना निभाई रस्में

मजदूर के भाई वासुदेव ने बताया कि गांव में परिवार ने मिट्‌टी का पुतला बना उसी का विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया।

नेपाल के परासी जिले में एक ईंट भट्‌ठे में 23 मई को सिसई के एक मजदूर खद्दी उरांव की मौत हो गई। 22 मई को उसकी तबीयत बिगड़ी। साथ काम करने वाला छोटा भाई विनोद उरांव और अन्य साथी 23 मई को अस्पताल ले गए, मगर इलाज नहीं हो सका। कोरोना के कारण शव सिसई में उसके गांव छारदा लाना संभव नहीं था। इसलिए छोटे भाई ने नेपाल में ही दाह-संस्कार कर दिया। पत्नी और बच्चे अंतिम दर्शन तक नहीं कर पाए। मजदूर के भाई वासुदेव उरांव ने बताया कि गांव में परिवार ने मिट्‌टी का पुतला बना उसी का विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया।
पत्नी बोली-पैसे कमाने गए थे...शरीर तक नहीं लौटा: मृतक की पत्नी सुखमनिया ने बताया कि पति हर साल दिसंबर-जनवरी में कमाने के लिए नेपाल जाते और जून में लौटते थे। इस बार कहा था कि लौटकर घर बनाऊंगा, बच्चों को अच्छे स्कूल में भेजूंगा। उनका शरीर तक नहीं लौटा।

मुजफ्फरपुर: मां नहीं रही... कफन को आंचल समझ खेलता रहा मासूम बेटा

ये घटना भी मुजफ्फरपुर की है। डेढ़ साल के मासूम रहमत की मां नहीं रही। परिवार कहता है कि गर्मी के कारण श्रमिक स्पेशल ट्रेन में तबीयत बिगड़ी थी। सरकार कहती है कि पहले से बीमार थी और दिमागी हालत भी खराब थी। लेकिन, रहमत समझ नहीं सकता कि मां काे क्या हुआ? क्याें हुआ? उसे ताे बस यही लगा कि भरी दाेपहरी में चादर ओढ़कर मां प्लेटफाॅर्म पर साे गई है। अपनी जिंदगी के सबसे बड़े नुकसान से बेखबर रहमत मां के कफन को आंचल समझकर खेलता रहा। इस उम्मीद में कि थाेड़ी देर बाद जब मां उठेगी और कहेगी... रहमत! बेटा कुछ खा ले... काेराेना संकट के बीच दिल दहलाने वाली यह घटना साेमवार काे बिहार के मुजफ्फरपुर में हुई।

इसका वीडियाे बुधवार काे सामने आया। मृत महिला का नाम अरवीना खातून (23) था। बहन और जीजा के साथ 23 मई काे अहमदाबाद से मधुबनी जा रही श्रमिक स्पेशल एक्सप्रेस में चढ़ी थीं। बीच में ट्रेन काफी देर रुकी रही। 25 मई काे भीषण गर्मी के बीच अरवीना ने मुजफ्फरपुर स्टेशन से कुछ घंटे पहले ट्रेन में ही उसने दम ताेड़ दिया। हालांकि, रेलवे ने कहा कि महिला पहले से बीमार थी और उसकी मानसिक स्थिति भी सही नहीं थी। महिला के दाे बेटे हैं, 4 साल का अरमान और डेढ़ साल का रहमत। रहमत के जन्म के आसपास पति ने अरवीना काे छाेड़ दिया था।



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पिता विश्राम गोप ने कहा बेटा बोला था मन नहीं लग रहा, घर लौट रहा हूं...अब कभी नहीं आएगा।


from Dainik Bhaskar /local/bihar/patna/news/somewhere-in-the-train-after-death-no-one-took-care-of-70-stations-then-somewhere-the-son-died-in-the-hope-of-milk-127348182.html

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